पांच वर्ष के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू, फर्जीवाड़े में शामिल सभी पर होगी सख्त कार्रवाई
हरिद्वार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में जिला प्रशासन हरिद्वार ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन ने एक सीएससी केंद्र संचालक द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करने के प्रयास का खुलासा करते हुए उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की संस्तुति की है।
औचक निरीक्षण के पूर्व निर्देश— अब सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा
हरिद्वार जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने पूर्व में ही सभी उपजिलाधिकारियों को सीएससी केंद्रों के माध्यम से जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्रों की नियमित और औचक जांच के निर्देश दिए थे। इन्हीं निर्देशों के तहत तहसीलदार एवं प्रशासनिक सतर्कता के बाद एक बड़ा प्रमाण पत्र घोटाला पकड़ा गया है।
फर्जी खतौनी के आधार पर बनाया गया स्थायी निवास प्रमाण पत्र
उप जिलाधिकारी हरिद्वार जितेंद्र कुमार ने बताया कि तहसीलदार सत्यापन रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि साजिद निवासी मुस्तफाबाद (पो. धनपुरा), जो सीएससी आईडी 354772620014 के माध्यम से केंद्र संचालित करता है, ने एक आवेदक नवाज़िश पुत्र नूर आलम के लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र हेतु आवेदन UK25ES0100585235 दिनांक 09.11.2025 को ई-सर्विसेस पोर्टल पर डाला था। जांच में पता चला कि आवेदन के साथ संलग्न खतौनी की प्रति कूटरचित (फर्जी) है। कूटरचित खतौनी में ग्राम मुस्तफाबाद की षटवार्षिक खतौनी 1421–1426 में खाता संख्या 12, खसरा 74 (क्षेत्रफल 0.2770 हे.) पर मुस्तकीम पुत्र सद्दीक का नाम दर्शाया गया था, जबकि असली भूलेख अभिलेखों में इसी खाता-खसरा पर अब्दुल मजीद पुत्र अल्लादीन का नाम दर्ज है।
फर्जी दस्तावेज अपलोड कर सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग
जांच में यह भी उजागर हुआ कि साजिद द्वारा अपने सीएससी केंद्र का दुरुपयोग करते हुए व्यवस्थित (organised) तरीके से कई लोगों के साथ मिलकर फर्जी प्रमाण पत्रों को निर्गत कराने का प्रयास किया गया।
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि स्थायी निवास प्रमाण पत्र एवं अन्य प्रमाण पत्र राज्य की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों, सरकारी नौकरियों और आर्थिक सहायता से जुड़े होते हैं।
फर्जी प्रमाण पत्र जारी होने से— वास्तविक पात्र लाभार्थी वंचित रह जाते हैं।
सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग होता है। राजस्व को नुकसान पहुंचता है।
प्राथमिकी दर्ज कराने की संस्तुति, बड़े नेटवर्क की संभावना।
उप जिलाधिकारी जितेंद्र कुमार ने कहा कि जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर साजिद और संबंधित अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध नियमानुसार एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जांच में यह भी माना जा रहा है कि यह कार्यवाही किसी संगठित नेटवर्क द्वारा संचालित हो सकती है, जिसकी गहन जांच की जाएगी।
पांच वर्षों के प्रमाण पत्रों की होगी पुनः जांच — प्रशासन सख्त
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देश पर—विगत पांच वर्षों में जारी हुए सभी प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। वर्तमान समय में जारी हर प्रमाण पत्र की गहन स्क्रूटनी होगी। फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने वाले आवेदकों और सीएससी संचालकों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने स्पष्ट किया है कि सरकारी दस्तावेजों में किसी भी प्रकार की कूटरचना, धोखाधड़ी या फर्जीवाड़ा राज्य सरकार की शून्य-सहनशीलता नीति के दायरे में आता है। ऐसे हर व्यक्ति पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई अनिवार्य रूप से की जाएगी।



