सात साल पहले आपदा में बह गया था शमशान घाट, पांच गांव के ग्रामीण परेशान




Listen to this article

नवीन चौहान.
सात साल पहले आई आपदा में पांच गांवों का एक मात्र शमशान घाट बह गया। इन सात साल में विकास के तमाम दावे हुए लेकिन इन प्रभावित पांच गांवों के किसानों को एक शमशान घाट मयस्सर नहीं हो सका। ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों से लेकर तमाम अधिकारियों तक गुहार लगायी लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। अब एक बार फिर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी हरिद्वार को अपनी समस्या से संबंधित ज्ञापन देकर शमशान घाट का निर्माण कराने की मांग की है।

हरिद्वार के ग्राम नूरपुर खेड़ी, पंजनहेडी, मिस्सरपुर, अजीतपुर, जियापोता और किशनपुर के ग्रामीणों का कहना है कि उनका एक ही संयुक्त शमशान घाट है। इन गांवों की आबादी अब 15 हजार से अधिक हो रही है। इन गांवों का जो शमशान घाट था वह करीब सात साल पहले आई आपदा में बह गया था। तब से अब तक किसी ने भी शमशान घाट की सुध नहीं ली। मजबूरी में ग्रामीण शवों का अंतिम संस्कार मां गंगा की धारा के बहाव क्षेत्र में खुले में करना पड़ रहा है। कई बार जलस्तर बढ़ने से अंतिम संस्कार करने में परेशान का सामना करना पड़ता है। मौसम खराब होने पर भी यही समस्या बनी रहती है।

जिलाधिकारी को ज्ञापन देते हुए ग्रामीणों ने मांग की है कि शमशान घाट का जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए, शमशान घाट पर लोगों के बैठने आदि की भी उचित व्यवस्था करायी जाए।

ज्ञापन देने वालों में मनोज, अतुल, अनुज, पंकज, तरूण, अशोक, त्रिलोक चन्द, अशोक चौहान, भूषण, अंकुर, सचिन आदि ग्रामीण मौजूद रहे।