पापमोचनी एकादशी व्रत से दूर होते हैं मानव के पाप: श्रीमहंत रविंद्र पुरी




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न्यूज 127.
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है और यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित हैं। पापांकुशा का अर्थ है पाप पर अंकुश लगाना। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति जीवन भर में किए गए सभी पापों से मुक्ति पाता है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यख श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि पापमोचनी एकादशी हर एक सनातनी के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है और यह व्रत सभी एकादशियों में विशेष स्थान रखता है। यह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और इसका सीधा संबंध जीवन में शुद्धता, आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति से है। “पापमोचनी” का अर्थ ही है “पापों से मुक्ति दिलाने वाली” और यह व्रत विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना जाता है जो जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं।

शास्त्रों में वर्णित है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पिछले जन्मों और इस जन्म के पापों से छुटकारा मिल सकता है तथा वह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकता है।
इस एकादशी के महत्व का वर्णन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत राजा चित्ररथ की कथा से जुड़ा हुआ है। राजा चित्ररथ गंधर्वों के स्वामी थे और वे अप्सराओं के साथ मनोरंजन और विलासिता में लीन रहते थे। एक बार उनके आश्रम में महामुनि मेधावी तपस्या कर रहे थे।

राजा की अप्सराओं में से एक, मंजुघोषा ने मुनि की तपस्या भंग करने का प्रयास किया, जिससे मेधावी ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने उसे श्राप दे दिया। बाद में, अप्सरा ने क्षमा याचना की और मुनि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी, जिससे उसे अपने पापों से मुक्ति मिल गई। इस प्रकार, यह व्रत आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। व्रत के नियमों के अनुसार, व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। व्रत के दौरान भक्तजन फलाहार ग्रहण करते हैं और रात को जागरण कर भजन-कीर्तन करते हैं।

अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण किया जाता है। इस व्रत को करने से मन की शुद्धि होती है, पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पापमोचनी एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। व्रत रखने से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, आध्यात्मिक रूप से यह व्रत आत्म-संयम, ध्यान और भक्ति की भावना को प्रबल करता है।

इस पावन अवसर पर सभी भक्तों को पापमोचनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ, भगवान विष्णु की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो। यह व्रत आपके जीवन में शुभता और पुण्य लाए, यही कामना है। मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर सदैव बना रहे। हर हर महादेव— श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज