भगवा रंग में सराबोर धर्मनगरी, शिवभक्ति में डूबे कांवडिए और जनमानस-पुलिस और प्रशासन की अग्निपरीक्षा




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नवीन चौहान
श्रावण मास आते ही हरिद्वार एक बार फिर धर्म, संस्कृति और श्रद्धा की विराट झांकी में बदल जाता है। यहां हर साल की तरह इस बार भी कांवड़ यात्रा ने आस्था के महासागर को जीवंत कर दिया है। दूर-दराज़ से आए करोड़ों शिवभक्त, कंधे पर गंगाजल और कांवड़ लिए हरकी पैड़ी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। यह दृश्य केवल धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति, साहस, सेवा और समर्पण का पर्याय बन चुका है।


हरकी पैड़ी: जहां आस्था और भक्ति एकाकार हो जाते हैं
हरकी पैड़ी पर दिन-रात “हर हर महादेव” के जयकारे गूंज रहे हैं। गंगा आरती की दिव्यता, श्रद्धालुओं की लंबी कतारें, और गंगा में डुबकी लगाकर पवित्र जल भरते कांवड़िए — यह हरिद्वार का वह स्वरूप है जिसे देखने मात्र से आत्मा शुद्ध हो जाती है।

यहां की हर सुबह शिवमयी होती है और हर शाम आरतीमयी
मंदिरों में मंत्रोच्चार, आश्रमों में भजन, और अखाड़ों में तपस्वियों की साधना — सब मिलकर इस तीर्थनगरी को “चलते-फिरते कैलाश” का रूप दे रहे हैं।
भक्ति से सराबोर जनमानस और सेवा में समर्पित समाज
हर कोई किसी न किसी रूप में इस यात्रा का भागीदार बन रहा है। सड़क किनारे जगह-जगह लगे सेवा शिविरों में शीतल पेय, भोजन, दवा, विश्राम, पैरों की मालिश तक — श्रद्धालुओं की सेवा में समाज के हर वर्ग ने योगदान दिया है। यह निःस्वार्थ सेवा ही हरिद्वार की आत्मा है।
कांवड़ियों का उत्साह, अनुशासन और शिवभक्ति अपने चरम पर है। 200-300 किलोमीटर की यात्रा तय कर रहे लोग बिना थके, बिना रुके सिर्फ एक लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं — भोलेनाथ को जल अर्पित करना।


धर्मनगरी भगवा रंग में रंगी — हर दिशा शिवमय
हरिद्वार के मंदिर, आश्रम, गलियां, चौक-चौराहे, पुल और घाट — हर जगह भगवा ध्वज लहरा रहे हैं। प्रशासन और व्यापारियों ने मिलकर पूरे शहर को कांवड़ यात्रा के रंग में रंग दिया है। यह नज़ारा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का विराट रूप है।
पुलिस और प्रशासन की अग्निपरीक्षा

कांवड़ यात्रा जितनी भक्ति की होती है, उतनी ही व्यवस्था और धैर्य की परीक्षा भी होती है। इस वर्ष भी पुलिस और प्रशासन ने यात्रा को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रखने के लिए अभूतपूर्व तैयारी की है।
हरकी पैड़ी, बैरागी कैंप, शंकराचार्य चौक से लेकर नहर पटरी और हाईवे तक पुलिसकर्मी चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। जगह-जगह बने वॉच टावर, कंट्रोल रूम, सीसीटीवी निगरानी और ड्रोन से निगरानी कर हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।

एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल, एसपी ट्रैफिक जितेंद्र मेहरा, डीएम मयूर दीक्षित और सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान, एचआरडीए के उपाध्यक्ष अंशुल सिंह, प्रशासन के तमाम वरिष्ठ अधिकारी जोनल मजिस्ट्रेट की भूमिका में स्वयं सड़क पर उतरकर व्यवस्था को दिशा दे रहे हैं। यातायात नियंत्रण, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा — तीनों मोर्चों पर पुलिस बल पूरे समर्पण से डटा है।

लेकिन यह केवल ड्यूटी नहीं है
यह सेवा और सहानुभूति का उदाहरण है। पुलिसकर्मी कई बार घायल कांवड़ियों को कंधे पर उठा रहे हैं, गुम हुए बच्चों को परिजनों से मिला रहे हैं, और भोजन-पानी की भी व्यवस्था कर रहे हैं। हर कोई इस भक्ति की यात्रा का अदृश्य रक्षक बनकर कार्य कर रहा है। हरिद्वार में कांवड़ यात्रा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और सेवा का जीवंत संगम है। यह वह यात्रा है जहां कांवड़िए शिव के चरणों में झुकते हैं, और पुलिस-प्रशासन समाज के विश्वास को थामे खड़े रहते हैं। यह केवल एक आयोजन नहीं — आस्था, अनुशासन और उत्तरदायित्व का राष्ट्रव्यापी उदाहरण है।