भाजपा को संगठित रखने के लिए खुद ही सौंप देंगे त्रिवेंद्र इस्तीफा




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नवीन चौहान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भाजपा को संगठित रखने और नाराज 22 विधायकों की टूट को रोकने लिए खुद ही इस्तीफा सौंप देंगे। यानि उत्तराखंड में एक बार ​फिर नेतृत्व परिवर्तन होगा। उत्तराखंड का इतिहास खुद को दोहरायेगा। मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा कायम रहेगी। उत्तराखंड कांग्रेस को चुनावी मुददा मिल जायेगा। प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार के कमजोर नेतृत्व साल 2022 के विधानसभा चुनाव का असल मुददा होगा। त्रिवेंद्र की ईमानदारी बगावती विधायकों के सामने हार जायेगी।
भाजपा हाईकमान,
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और नाराज विधायकों की लामबंदी का असर ये रहा कि उत्तराखंड के ईमानदार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कदम पीछे खीच लिए है। भाजपा के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया है। भाजपाई सूत्रों से जानकारी मिली है कि देर शाम चार बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप सकते है। जबकि नए मुख्यमंत्री के तौर पर पूर्व मूख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और धन सिंह रावत के नाम से किसी एक के नाम की घोषणा की जा सकती है।
लेकिन अगर इस पूरे घटनाक्रम के परिपेक्ष पर नजर डाले तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी महत्वकांक्षी नाराज विधायकों के सामने कमजोर पड़ती दिखी। ​सूत्रों ने बताया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है। अगर उत्तराखंड के नाराज 22 विधायक इस्तीफा देने पर अड़े तो चुनावी राज्यों में गलत संदेश जायेगा। राजनैतिक अस्थिरता का माहौल बनेगा। ऐसे में त्रिवेंद्र ने खुद ही अपने कदम पीछे खींच लिए। वही केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर विधायकों का एक गुट पुरजोर पैरवी कर रहा है। हालांकि देर रात्रि तक सबकुछ ठीक हो चुका था। सुबह दिल्ली में माहौल एक बार फिर गरमा गया। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के लिए निकल चुके है।