*”क्या ऑपरेशन कालनेमि केवल भिखारियों तक सीमित रहेगा?”




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हरिद्वार में उठे गंभीर सवाल, सरकार की नीयत और नीति पर बहस तेज
नयूज127
धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों सरकार द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन कालनेमि” की खूब चर्चा है। इस विशेष अभियान का उद्देश्य फर्जी बाबाओं, ढोंगी साधुओं और धर्म की आड़ में ठगी करने वालों पर कार्रवाई करना है। लेकिन जैसे-जैसे यह अभियान आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसके मानकों और निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
तीसरे दिन तक केवल हरिद्वार और देहरादून जनपद से पांच दर्जन से अधिक फर्जी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 18 केवल श्यामपुर थाना क्षेत्र से पकड़े गए हैं। इनमें सपेरा जाति और शनि का दान मांगने वाले शामिल हैं, जिनकी यह परंपरा वर्षों पुरानी है।
क्या भगवा पहनना गुनाह है?
प्रश्न उठता है कि क्या केवल भिक्षावृत्ति करने वाले, भगवा वस्त्र पहनने के कारण “कालनेमि” घोषित किए जा सकते हैं? क्या सरकार ने कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है कि फर्जी बाबा की पहचान कैसे होगी? क्योंकि वर्तमान स्थिति में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भगवा पहनने वाला कोई भी व्यक्ति, भले ही वह साधु न हो, गिरफ्तारी के दायरे में आ रहा है।
मठों-अखाड़ों में छिपे कालनेमि कौन पकड़ेगा?
हरिद्वार में सैकड़ों आश्रम और अखाड़े हैं, जहां हजारों भगवाधारी निवास करते हैं। इनमें कई पर गंभीर आरोप हैं — फिर भी वे पूजे जा रहे हैं। आश्रम, अखाड़ों में निवास करने वाले कालनेमियों की पहचान तक नही है। कहां से आए और कौन है।
क्या यह दोहरे मापदंड नहीं हैं कि सड़क पर भिक्षा मांगने वालों को जेल भेजा जाए और करोड़ों की संपत्ति वाले मठाधीश, जिन पर कई संगीन आरोप, धोखाधड़ी, महिला शोषण, जमीन कब्जे जैसे संगीन आरोप हैं — उन्हें untouched छोड़ दिया जाए?
धर्म के बाजारीकरण पर चुप्पी क्यों?
हरिद्वार में ऐसे भी उदाहरण हैं जहाँ मंदिरों की “बोली” लगती है — यानि भगवान तक को नीलाम किया जा रहा है। मठों को करोड़ों में ठेके पर दिया जा रहा है और प्राप्त धनराशि से केवल ऐशोआराम हो रहा है। क्या ऐसे भगवाधारी कालनेमि की श्रेणी में नहीं आते?
कुछ अनसुलझे सवाल — जवाब कौन देगा?

शादीशुदा जीवन जीते हुए भगवा धारण करने वाले क्या संन्यासी कहलाएंगे?
जो आचार्य, महामंडलेश्वर बनने के नाम पर पैसे लेते हैं, क्या वे संत हैं?
शराब, मांस, दलाली, अवैध कब्जा, स्त्री शोषण में लिप्त भगवाधारी क्या छूटेंगे?
पैसे लेकर गैर-ब्राह्मण को धर्मिक पद देना क्या धर्म का अपमान नहीं?
लोगों की प्रतिक्रिया: ‘बड़ी मछलियों पर कार्रवाई हो’
जनमानस का एक बड़ा वर्ग मानता है कि सरकार का “ऑपरेशन कालनेमि” सराहनीय है, लेकिन इसका दायरा केवल छोटे-मोटे भिक्षुओं और दान मांगने वालों तक सीमित नहीं होना चाहिए। जब तक मठों-अखाड़ों के भीतर छिपे असली कालनेमियों पर कार्यवाही नहीं होती, तब तक इस ऑपरेशन की विश्वसनीयता संदिग्ध बनी रहेगी।