हरिद्वार नगर निगम के चर्चित 54 करोड़ का जमीन घोटाले चर्चित ज़मीन घोटाले में बड़े नाम




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न्यूज127
हरिद्वार नगर निगम के चर्चित 54 करोड़ के ज़मीन घोटाले में कई बड़े चेहरे फंस चुके है। सरकार की ओर से इस प्रकरण की जांच पूरी होने के बाद कार्यवाई का इंतजार है। सूत्रों के मुताबिक तीन बड़े अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।
विदित हो कि इस चर्चित जमीन घोटाले में नगर निगम के चार अधिकारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण में निष्पक्षता से जांच कराने के आदेश दिए थे। जिसके बाद शासन की ओर से वरिष्ठ आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंपी गई। रणवीर सिंह चौहान ने इस प्रकरण में तमाम अधिकारियों के बयान लिए और साक्ष्यों का अवलोकन किया। जिसके बाद जांच पूरी करके अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट मिलने के बाद अब सरकार इस पूरे मामले में आगे की कार्रवाई पर फैसला ले सकती है।
गौरतलब है कि हरिद्वार नगर निगम ने 35 बीघा ज़मीन की खरीद की थी। यह ज़मीन सराय में शहर के एक कूड़े के ढेर के पास स्थित है। जमीन की वास्तविक प्रवृत्ति कृषि भूमि है। जिसका सर्किल रेट बहुत कम था। जबकि इस जमीन की खरीद करने से पहले भूमि की प्रवृत्ति में बदलाव किया गया। जिसके चलते उसके सर्किल रेट में बढोत्तरी हो गई। हरिद्वार नगर निगम ने इसे 54 करोड़ रुपये में खरीद लिया।
हरिद्वार नगर निगम की नव निर्वाचित मेयर
किरण जैसल की अध्यक्षता में आयोजित पहली बोर्ड बैठक में जमीन खरीद प्रकरण चर्चा में आया और खबरों की सुर्खिया बना। आरोप यह भी है कि इस ज़मीन की खरीद में न तो नगर निगम अधिनियम का पालन हुआ और न ही शासन द्वारा तय किए गए वित्तीय नियमों का कोई पालन किया गया. बिना ज़रूरत के भूमि खरीद को अंजाम दिया गया न कोई तकनीकी परीक्षण हुआ और न ही मूल्यांकन. साथ ही इस मामले में ये भी सामने आया कि कूड़े के पास होने के कारण यह ज़मीन नागरिक उपयोग के लिए बेकार थी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से लिया और मामले जांच बैठाई और जांच का जिम्मा शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान को सौंपा आईएएस चौहान ने ज़मीनी निरीक्षण किया, दस्तावेज़ों की जांच की और ज़मीन से जुड़े पक्षों समेत कुल 24 लोगों के बयान दर्ज किए। उन्होंने सभी नियम, पत्रावलियां और खरीद प्रक्रिया का गहन अध्ययन किया. इसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट शहरी विकास विभाग के सचिव नितेश झा को सौंप दी है।

बताते चलें इस जमीन घोटाले की शुरुआती जांच के बाद पहले ही नगर निगम के चार अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है. इनमें प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट, और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल शामिल हैं. इन सभी को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबन की कार्रवाई की गई थी।
इसके अलावा नगर निगम के संपत्ति लिपिक वेदवाल, जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद सेवा विस्तार दिया गया था, उनका सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया. उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. यह कार्रवाई सिविल सर्विसेज रेगुलेशन के अनुच्छेद 351(ए) के तहत होनी है, जिसके अंतर्गत सेवा विस्तार के दौरान की गई अनियमितताओं पर भी कार्रवाई की जा सकती है। वहीं अब बड़े अधिकारियों की बारी है. इन बड़े अधिकारियों के खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई करती है, ये देखने वाली बात होगी।