डीपीएस में शिक्षकों की दक्षता और शिक्षण गुणवत्ता में निखार लाने हेतु ज्ञानवर्धक कार्यशाला




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सीबीएसई सीओई देहरादून के तत्वावधान में ‘शिक्षण पद्धति एवं परिणाम संवर्धन’ विषय पर विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव, शिक्षकों में उत्साह
पथ प्रवाह, (हरिद्वार)
डीपीएस रानीपुर में शनिवार को शिक्षकों की शिक्षण दक्षता और परिणाम आधारित शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से सीबीएसई सीओई देहरादून के तत्वावधान में ‘शिक्षण पद्धति एवं परिणाम संवर्धन’ विषय पर एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न विद्यालयों से लगभग 60 शिक्षकों ने भाग लेकर शिक्षण के आधुनिक एवं प्रभावी तरीकों पर गहन जानकारी प्राप्त की।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य डॉ. अनुपम जग्गा एवं विषय विशेषज्ञों श्रीमती रश्मि गोयल (प्रधानाचार्य, द सेपियंस स्कूल, देहरादून) और राजेश देवरानी (प्रधानाचार्य, माउंट लिटरा जी स्कूल, रूड़की) द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को शिक्षण की नवीन पद्धतियों, विद्यार्थियों की मनोवैज्ञानिक समझ और परिणामोन्मुख शिक्षण के प्रति जागरूक करना था।

प्रथम सत्र में रश्मि गोयल ने शिक्षण की बारीकियों पर की विस्तृत चर्चा
पहले सत्र में श्रीमती रश्मि गोयल ने शिक्षण पद्धति, पाठ योजना निर्माण, शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति और कक्षा में विद्यार्थियों की मानसिक सुदृढ़ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि “शिक्षक केवल ज्ञान का संप्रेषणकर्ता नहीं, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण का सूत्रधार होता है।” उन्होंने शिक्षकों को विद्यार्थियों की रुचि और व्यवहारिक सहभागिता के अनुरूप पाठ्यक्रम के प्रभावी संचालन के उपाय बताए।

दूसरे सत्र में राजेश देवरानी ने शिक्षण में मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
दूसरे सत्र में राजेश देवरानी ने कहा कि आज का शिक्षक केवल अध्यापक नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और मनोवैज्ञानिक भी है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक शिक्षक को कक्षा प्रारंभ करने से पहले समुचित तैयारी करनी चाहिए तथा विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता, भावनात्मक स्थिति और रुचियों को समझना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि सक्रिय श्रवण, आत्म-अभिव्यक्ति को प्रोत्साहन, और तनावग्रस्त छात्रों को सकारात्मक दिशा देना ही एक प्रभावी शिक्षक की पहचान है।

प्रायोगिक गतिविधियों से बढ़ी कार्यशाला की उपयोगिता
दोनों विशेषज्ञों ने शिक्षकों को प्रायोगिक गतिविधियों के माध्यम से सिखाया कि कैसे कक्षा के वातावरण को सकारात्मक बनाया जा सकता है। पाठ-योजना निर्माण, शिक्षण-संयोजन, और परिणामोन्मुख मूल्यांकन पर इंटरएक्टिव सत्र ने कार्यशाला को अत्यंत जीवंत बना दिया।

प्रधानाचार्य डॉ. अनुपम जग्गा ने शिक्षकों का प्रेरक संदेश
प्रधानाचार्य डॉ. अनुपम जग्गा ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि प्रत्येक शिक्षक का यह दायित्व है कि वह हर विद्यार्थी को व्यक्तिगत ध्यान देकर उसे शिक्षण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि “शिक्षण एक सतत प्रक्रिया है, जो ज्ञान के साथ संवेदनशीलता और समझ की भी मांग करती है।”
उन्होंने विषय विशेषज्ञों तथा सीबीएसई सीओई देहरादून के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ शिक्षकों के पेशेवर विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

समापन राष्ट्रगान और सामूहिक उत्साह के साथ हुआ
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। सभी शिक्षकों ने इस कार्यशाला को अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण से शिक्षण के क्षेत्र में नई ऊर्जा और दृष्टि का संचार होता है।