मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने 1.20 करोड़ की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण




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‘राइजिंग टिहरी – फिजिक्स वाला ऑनलाइन कोचिंग क्लास’ का शुभारंभ, अब गांवों में होगी जेईई-नीट की तैयारी
पथ प्रवाह, देहरादून
ऋषिकेश में आयोजित सरस आजीविका मेले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत क्लस्टर स्तरीय महासंघ (सी.एल.एफ.) के लिए 1.20 करोड़ रुपये की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया। इसके साथ ही 10 अन्य सी.एल.एफ. के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित आर्थिक गतिविधियों का शिलान्यास भी किया गया। इस अवसर पर ‘राइजिंग टिहरी – फिजिक्स वाला ऑनलाइन कोचिंग क्लास’ का भी शुभारंभ किया गया, जिससे अब ग्रामीण क्षेत्रों के युवा जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अपने गांव में रहकर ही कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने ग्रामोत्थान परियोजना के तहत ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन की पहल की सराहना की। उन्होंने मेले में उपस्थित स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों और ग्रामीण उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा गया कि यह मेला ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा, कौशल और उद्यमिता को प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है। आजीविका मेलों के माध्यम से न केवल स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने का मंच मिलता है, बल्कि ये ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘लोकल के लिए वोकल’ के मंत्र को भी साकार करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

ऐसे मेलों के माध्यम से ग्रामीण कारीगरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, हस्तशिल्पियों, ग्रामीण उद्यमियों तथा कृषि उत्पादों और ग्रामीण कौशल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ा जा रहा है। मेले में लगाए गए स्टॉल ‘स्वदेशी अपनाओ’ के संदेश को आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे अपने गांव, प्रदेश और देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देने का संकल्प सुदृढ़ हो रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि स्वदेशी उत्पाद खरीदना केवल एक सामान की खरीद नहीं, बल्कि ग्रामीण कारीगरों, मातृशक्ति और उद्यमियों के सपनों में निवेश है। स्वदेशी अपनाने से न केवल संस्कृति और परंपरा जीवित रहती है, बल्कि किसानों, हस्तशिल्पियों और स्थानीय उद्यमियों की आजीविका भी सशक्त होती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान को आत्मसात करते हुए आज मातृशक्ति ने स्वदेशी उत्पादों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। स्वयं सहायता समूहों की दीदियाँ अपने श्रम और कौशल से स्वदेशी उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान दिला रही हैं।

कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि ‘लखपति दीदी योजना’ के तहत अब तक 1.65 लाख से अधिक महिलाएं लखपति बनी हैं। ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ के अंतर्गत महिलाओं ने लगभग 2000 स्टॉल लगाकर 5.5 करोड़ रुपये का विपणन किया है। साथ ही, ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के माध्यम से उत्तराखंड के स्वदेशी उत्पाद अब विश्व स्तर तक पहुंच रहे हैं।

राज्य में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 68 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों में 5 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। 7,500 से अधिक ग्राम संगठन और 534 क्लस्टर स्तरीय संगठन भी स्थापित किए गए हैं।

महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सरकार ‘महिला किसान सशक्तिकरण योजना’ और ‘फार्म जीविकोपार्जन योजना’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार काम कर रही है। इन योजनाओं के तहत राज्य की 3 लाख से अधिक महिला किसानों की क्षमता व कौशल विकास किया गया है। 2.5 लाख पोषण उद्यान और रसोई बागवानी स्थापित किए गए हैं, साथ ही 500 कृषि यंत्र बैंक भी उपलब्ध कराए गए हैं। राज्य में 5 हजार से अधिक महिला किसानों को जैविक खेती से जोड़ा गया है।

इन प्रयासों से प्रदेश की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। आज मातृशक्ति आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही है, जो इस सरस मेले में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, ग्रामीण उद्यमी और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।