नवीन चौहान, हरिद्वार।
निकाय चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से ना होकर अपने की बागी नेताओं से है। पार्टी छोड़कर चुनाव मैदान में डटे कांग्रेस के बागी उम्मीदवार कांग्रेस के लिये गले की फांस बनते दिखाई पड़ रहे हैं। कांग्रेस ने कमजोर पार्षद प्रत्याशी मैदान में उतार दिये है। कांग्रेस के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ रहे कुछ प्रत्याशियों को उनकी गली मौहल्ले के लोग तक नहीं पहचानते हैं। लेकिन पार्टी ने उनको टिकट देकर जरूर नेता घोषित कर दिया है। ऐसे प्रत्याशियों से जीत की उम्मीद करना कांग्रेस को खुद अपने को धोखा देना है।
निकाय चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देनी वाली बड़ी पार्टी कांग्रेस खुद अपनी ही राजनीति का शिकार हो गई। टिकट वितरण के दौरान पार्षदों के नामों का चयन करने के दौरान कांग्रेस के पदाधिकारियों का एक ओडियो वायरल होने से खुद इनके नेताओं की छिछालेदारी करा दी। अब जब लिस्ट सामने आई तो कांग्रेस पार्टी का झंडा उठाकर घूमने वाले नेताओं को झटका लगा। सालों से पार्टी की सेवा कर रहे कई कांग्रेसियों को टिकट नहीं मिला। पदाधिकारियों से नाराज कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय नामांकन करा दिया है। जबकि कुछ जनाधार वाले नेताओं ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। बात करे तो वार्ड नंबर 44 से दावेदारी कर रहे अहसान अंसारी कांग्रेस के एक मजबूत प्रत्याशी के तौर पर पार्टी से टिकट की मांग कर रहे थे। सामाजिक कार्यांे में सक्रिय अहसान अंसारी काफी अरसे से पत्रकारिता के माध्यम से जनता की सेवा कर रहे हैं। लेकिन पार्टी के पदाधिकारियों ने अहसान अंसारी का टिकट काटकर जफर को टिकट थमा दिया। अहसान अंसारी ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और मैदान में ताल ठोक दी। अहसान अंसारी एक मजबूत प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस और भाजपा का गणित बिगाड़ सकते हैं। ऐसा ही हाल कुछ अन्य वार्डों पर भी है। कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी भाजपा के प्रत्याशियों से नहीं अपनी ही पार्टी के बागी नेताओं से जूझ रहे हैं।
भाजपा से नहीं अपने ही बागियों से जूझ रही कांग्रेस, जानिए पूरी खबर



