नवीन चौहान
देश की बेटियों के लिए वरिष्ठ पत्रकार डॉ राधिका नागरथ ने एक मिशाल पेश की है। डॉ राधिका ने एक आदर्श बेटी का फर्ज अदा करते हुए एक बेटा बनकर माता —पिता की सेवा की। डॉ राधिका ने माता—पिता की तमाम जिम्मेदारियों का पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ पूरा किया। बेहद ही कोमल हृदय की महिला राधिका ने पिता के निधन के अपार शोक की घड़ी में पूरे धैर्य के साथ अंतिम संस्कार की रस्म निभाई। पिता की चिता को मुखाग्नि दी।
प्रेस क्लब हरिद्वार की सदस्य वरिष्ठ पत्रकार डॉ राधिका नागरथ एक अंग्रेजी अखबार में लेखन कार्य करती है। 13 मार्च 2020 की दोपहर 12:35 बजे डॉ राधिका नागरथ के पिता श्री पन्ना लाल नागरथ का लंबी बीमारी के बाद श्री रामकृष्ण मिशन एवं सेवा आश्रम कनखल में निधन हो गया। वरिष्ठ पत्रकार लेखिका डॉ राधिका नागरथ के पिता श्री पन्ना लाल नागरथ 86 साल के थे। डॉ राधिका ने वेद मंत्रों के बीच कनखल श्मशान घाट पर अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। शांतिकुंज के कार्यकर्ताओं ने वैदिक विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार संपन्न कराया। डॉ राधिका नागरथ के पिता का जन्म पाकिस्तान के शेखुपुरा में आजादी से पूर्व हुआ था। भारत पाकिस्तान के बटवारे के बाद वे अमृतसर आ गए थे। अमृतसर से जालंधर आए और जालंधर से देहरादून और वहां से हरिद्वार आकर रहने लगे। यहां पर अपनी एकलौती बेटी डॉ राधिका के साथ रहने लगे। राधिका ने एक बेटा बनकर अपने माता पिता की सेवा की। कुछ सालों पूर्व राधिका पर दुखों का पहाड़ टूटा जब उनकी मां का देहांत हो गया। अपार दुख के वक्त में भी राधिका ने खुद को संभाला और मां के अंतिम संस्कार का कार्य पूरा किया। जिसके बाद पिता पन्ना लाल की सेवा करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से राधिका के कंधों पर आ गई। समाजसेवा के कार्यो में सक्रिय रहकर गरीबों की सेवा करने वाली राधिका पिता की दवाईयों उनके इलाज के लिए पूरा वक्त निकालती थी। उनकी सबसे बड़ी खास बात ये थी कि वह पिता के लिए कोई भी आवश्यक कार्य छोड़ देती थी। पिता को वक्त पर खाना देना दवाई देना और उनके साथ बैठकर वक्त गुजारना डॉ राधिका की दिनचर्या में शामिल था। एक बेटी के लिए जिंदगी में सामन्जय बैठाना बेहद मुश्किल है। लेकिन राधिका के लिए सरलता के साथ इसको मैनेज कर लेती थी। ऐसे वक्त में उनके पिता का निधन राधिका के लिए असहनीय दुखों का वक्त है। लेकिन निडर साहसी राधिका इस दुखों से पारकर खुद को उबारेगी और गरीबों की सेवा में तत्पर दिखाई देंगी। न्यूज127 शोक की इस घड़ी में डॉ राधिका के पिता को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता है। और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि पवित्र आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।
देश की बेटियों के लिए वरिष्ठ पत्रकार डॉ राधिका नागरथ ने एक मिशाल पेश की है। डॉ राधिका ने एक आदर्श बेटी का फर्ज अदा करते हुए एक बेटा बनकर माता —पिता की सेवा की। डॉ राधिका ने माता—पिता की तमाम जिम्मेदारियों का पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ पूरा किया। बेहद ही कोमल हृदय की महिला राधिका ने पिता के निधन के अपार शोक की घड़ी में पूरे धैर्य के साथ अंतिम संस्कार की रस्म निभाई। पिता की चिता को मुखाग्नि दी।
प्रेस क्लब हरिद्वार की सदस्य वरिष्ठ पत्रकार डॉ राधिका नागरथ एक अंग्रेजी अखबार में लेखन कार्य करती है। 13 मार्च 2020 की दोपहर 12:35 बजे डॉ राधिका नागरथ के पिता श्री पन्ना लाल नागरथ का लंबी बीमारी के बाद श्री रामकृष्ण मिशन एवं सेवा आश्रम कनखल में निधन हो गया। वरिष्ठ पत्रकार लेखिका डॉ राधिका नागरथ के पिता श्री पन्ना लाल नागरथ 86 साल के थे। डॉ राधिका ने वेद मंत्रों के बीच कनखल श्मशान घाट पर अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। शांतिकुंज के कार्यकर्ताओं ने वैदिक विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार संपन्न कराया। डॉ राधिका नागरथ के पिता का जन्म पाकिस्तान के शेखुपुरा में आजादी से पूर्व हुआ था। भारत पाकिस्तान के बटवारे के बाद वे अमृतसर आ गए थे। अमृतसर से जालंधर आए और जालंधर से देहरादून और वहां से हरिद्वार आकर रहने लगे। यहां पर अपनी एकलौती बेटी डॉ राधिका के साथ रहने लगे। राधिका ने एक बेटा बनकर अपने माता पिता की सेवा की। कुछ सालों पूर्व राधिका पर दुखों का पहाड़ टूटा जब उनकी मां का देहांत हो गया। अपार दुख के वक्त में भी राधिका ने खुद को संभाला और मां के अंतिम संस्कार का कार्य पूरा किया। जिसके बाद पिता पन्ना लाल की सेवा करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से राधिका के कंधों पर आ गई। समाजसेवा के कार्यो में सक्रिय रहकर गरीबों की सेवा करने वाली राधिका पिता की दवाईयों उनके इलाज के लिए पूरा वक्त निकालती थी। उनकी सबसे बड़ी खास बात ये थी कि वह पिता के लिए कोई भी आवश्यक कार्य छोड़ देती थी। पिता को वक्त पर खाना देना दवाई देना और उनके साथ बैठकर वक्त गुजारना डॉ राधिका की दिनचर्या में शामिल था। एक बेटी के लिए जिंदगी में सामन्जय बैठाना बेहद मुश्किल है। लेकिन राधिका के लिए सरलता के साथ इसको मैनेज कर लेती थी। ऐसे वक्त में उनके पिता का निधन राधिका के लिए असहनीय दुखों का वक्त है। लेकिन निडर साहसी राधिका इस दुखों से पारकर खुद को उबारेगी और गरीबों की सेवा में तत्पर दिखाई देंगी। न्यूज127 शोक की इस घड़ी में डॉ राधिका के पिता को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता है। और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि पवित्र आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।