नवीन चौहान
हरिद्वार के सैंकड़ों गरीबों के बैंक खाते में हर महीने धन वर्षा हो रही है। खुद इन गरीबों को भी पैंसा आने के कारण का पता नही है। आखिरकार ये पैंसा किस वजह से आ रहा है। जी हां ये बात सोलह आने सच है। लालढांग क्षेत्र के तमाम सैंकड़ों गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले गैस कनेक्शन की सब्सिडी का पैंसा आ रहा है। जबकि ये सभी गरीब परिवार जंगल से लकड़ियां बीनकर चूल्हे पर रोटी पका रहे है। इसका मतलब तो साफ है कि एक बड़ा घोटाला हुआ है। जिसने गरीबों के गैस सिलेंडर पर हाथ साफ कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन” के नारे के साथ 1 मई 2016 को एक सामाजिक कल्याणकारी योजना “प्रधानमंत्री उज्जवला योजना” की शुरूआत की थी। यह योजना एक धुँआरहित ग्रामीण भारत की परिकल्पना करती है। साल 2019 तक 5 करोड़ परिवारों, विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को रियायती एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखते हुए बनाई गई थी। इस योजना की शुरूआत करने के दौरान केंद्र सरकार की मंशा थी कि एलपीजी के उपयोग में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य संबंधी विकार, वायु प्रदूषण एवं वनों की कटाई को कम करने में मदद मिलेगी। जबकि इस योजना का कार्यान्वयन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय कर रहा है। लेकिन हरिद्वार में इस योजना में बड़ी धांधली होने की बात सामने आ रही है। जिसका खुलासा तब हो रहा है जब गरीबों के खाते में हर महीने एकाएक पैंसा आ रहा है। जब गरीबों ने पैंसा आने का कारण जाना तो पता चला कि उनको गैस की सब्सिडी आ रही है। ऐसे में जब गरीबों को गैस कनेक्शन मिला ही नही तो उनका चूल्हा और सिलेंडर कहां चला गया। इस गैस का उपयोग कौन कर रहा है। ऐसे में गैस एजेंसी संचालकों की मिलीभगत को नकारा नही जा सकता है। उत्तराखंड में ये हाल तो तब है जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जीरो टालरेंस की मुहिम चला रहे है। भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाने का दंभ भरते है। ऐसे में अब पूरी संभावना जिलाधिकारी सी रविशंकर पर आ टिकी है। कि ईमानदार जिलाधिकारी अब इन गरीबों को उनका सिलेंडर और चूल्हा भी दिलाए। ताकि गरीबों की आंखों से आंसू निकलना बंद हो।
हरिद्वार में गरीबों के बैंक खाते में कौन भेज रहा पैंसा



