ऑनलाइन ठगी के शिकार लोगों की साइबर क्राइम पुलिस ने ऐसे दिलाई रकम, दिए सुझाव




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नवीन चौहान 
ऑनलाइन खरीदारी या बैंक की ओर से कथित काॅल आने के चक्कर में प्रतिदिन कई लोग अपनी गाढ़ी कमाई को लुटा रहे हैं। ऐेसे ठगी का शिकार हुए लोगों की रकम वापस दिलाने का काम स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड के अंतर्गत कार्यरत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून ने किया है। विशेषज्ञों ने लोगों को ठगी से बचने के सुझाव भी दिए हैं।
केश- वन
लोहार वाला टि स्टेट देहरादून निवासी एक व्यक्ति द्वारा साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन में शिकायत अंकित की गयी कि उनके द्वारा फ्लिपकार्ट कम्पनी से ऑनलाईन खरीददारी की गयी थी, जिसमें सामान प्राप्त न होने पर उनके द्वारा गूगल पर फ्लिपकार्ट कस्टूमर केयर का नम्बर ढूंढकर उससे बात की गयी तो उसने उक्त सामान के ऐवज में धनराशि वापस करने के नाम पर बैंक खाते के सम्बन्धित ओटीपी व अन्य गोपनीय जानकारी उसको बता दी। जिससे उनके बैंक खाते से लगभग 30,000 रुपये की ऑनलाईन निकासी हो गयी। प्रार्थना पत्र की जांच साईबर थाने के उपनिरीक्षक कुलदीप टम्टा द्वारा की गई, शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेजो के आधार पर जानकारी हुयी कि साईबर ठग द्वारा विभिन्न ऑनलाईन गेटवे का प्रयोग करते हुये धनराशि स्थानान्तरित की गयी है, जिस पर तत्काल विभिन्न नोडल अधिकारियों से कार्यवाही हेतु सम्पर्क किया गया। जिसमें से पेटीएम से शिकायतकर्ता के 30,000 रूपये (संपूर्ण धनराशि) रिफण्ड’ करायी गयी है। शिकायतकर्ता द्वारा ’साईबर थाने की कार्यवाही की प्रशंसा करते हुये धनराशि वापस कराने पर आभार व्यक्त किया गया। संदिग्ध व्यक्ति लाभार्थी के खाता धारक के समस्त विवरण प्राप्त कर प्रकरण को कार्यवाही हेतु सम्बन्धित जनपद को भेजा गया।
केश- टू
प्रेम नगर देहरादून निवासी एक व्यक्ति द्वारा साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन में शिकायत अंकित की गयी कि उनके द्वारा ओएलएक्स में स्कूटी की पोस्ट देखी, उक्त स्कूटी को खरीदने हेतु आवेदक ने पोस्ट में अंकित फोन नंबर से संपर्क किया तो उक्त स्कूटी के मालिक ने स्वयं को आर्मी ऑफिसर बताया तथा स्वयं का ट्रांसफर अन्य राज्य में होने के कारण उक्त स्कूटी को बेचना बताया। आवेदक द्वारा उक्त व्यक्ति की बातों पर विश्वास कर दिए गए आईसीआईसीआई बैंक अकाउंट में तत्काल 65000 रूपये भेज दिए। प्रार्थना पत्र की जांच उपनिरीक्षक कुलदीप टम्टा द्वारा की गई, शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध करायी गए दस्तावेजांे के आधार पर साईबर ठग द्वारा दिए गए आईसीआईसी बैंक अकाउंट की जानकारी ली गई। यह अकाउंट भरतपुर, राजस्थान का होना पाया गया है जिसे तत्काल डेबिट फ्रीज कराया गया। संदिग्ध व्यक्ति लाभार्थी के खाता धारक के समस्त विवरण प्राप्त कर अभियोग पंजीकृत किया गया है।
केश-थ्री
मियांवाला, हर्रावाला, जनपद देहरादून निवासी एक व्यक्ति द्वारा साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन में शिकायत अंकित की गयी कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा आवेदक को कॉल कर स्वयं को बैंक अधिकारी बताते हुए उनसे उनके क्रेडिट कार्ड का विवरण प्राप्त कर 97,615 रुपये की ऑनलाईन निकासी करने विषयक शिकायत की। प्रार्थना पत्र की जांच उपनिरीक्षक राजेश ध्यानी द्वारा की गई। तत्काल शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार सम्बंधित सेवा प्रदाता मोबिकिक एंड हाउसिंग डाॅट काॅम से पत्राचार कर विवरण प्राप्त किया गया तो उनके खाते में स्थानान्तरित ’धनराशि 17,675 रूपये वापस आवेदक के खाते में रिफण्ड’ करवाये गए है। मोबिकि में स्थानान्तरित धनराशि का संदिग्ध द्वारा प्रयोग किया जा चुका है। संदिग्ध व्यक्ति लाभार्थी के खाता धारक के समस्त विवरण प्राप्त कर प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही हेतु सम्बन्धित जनपद को भेजा गया।
साईबर सुरक्षा टिप
– कृपया गूगल या अन्य किसी सर्च इंजन पर किसी कम्पनी बैंक का कस्टूमर केयर नम्बर न ढूंढें। कस्टमर केयर का नम्बर सम्बन्धित कम्पनी बैंक की अधिकारिक वैबसाईट से ही देखें।
– कभी भी अपनी व्यक्तिगत या बैंकिग डिटेल्स को फोन व वाट्सअप कॉल पर किसी से भी साझा न करें। कोई भी बैंक या वॉलेट आपको फोन कर आपकी बैंकिग डिटेल नही मांगता है।
– कोई भी बैंक डाक्यूमैन्ट वैरिफेकेशन अपडेट के लिए किसी को भी फोन पर अपनी बैंकिंग डिटेल शेयर न करें।
– अधिकांशतः देखा गया है कि साईबर ठगों द्वारा स्वयं को भारतीय सेना में कार्यरेत बताते हुये सामान को खरीदने या बेचने हेतु सोशल साईट्स पर संपर्क किया जा रहा है, ऐसे मामलों में सावधानी बरते । किसी भी दशा में अग्रिम भुगतान न करें, सामान प्राप्त होने पर ही भुगतान करें।
– किसी भी सोशल साईट्स पर कम कीमत पर सामान खरीदने के विज्ञापन देखकर लालच में न आये, अधिकृत एवं विश्वसनीय वेबसाईटो से ही ऑनलाईन सामान खरीदे। सामान आर्डर करते समय केश आॅन डिलीवरी विकल्प का प्रयोग करें।
– ऑनलाईन प्लेटफार्म पर खरीदारी या सामान बेचते वक्त द्वितीय पार्टी में तत्काल विश्वास ना करें। सामान को भौतिक रुप से देखने व विक्रेता या क्रेता से व्यक्तिगत रुप में मिलकर ही भुगतान करें।