सीएम त्रिवेंद्र की ईमानदारी विरोधियों को रास नहीं आई, सीएम बदलने की हवा




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नवीन चौहान

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन उनकी ही पार्टी ​के विधायकों को रास नही आ रहा है। विधायकों ने ही मुख्यमंत्री के बदलने की अटकलों को हवा दे दी। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर नए मुख्यमंत्री के नामों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। हालांकि कुछ विधायकों की निजी बातों को लेकर नाराजगी जरूर है। लेकिन मुख्यमंत्री बदला जाए ऐसा कोई ठोस कारण नही है। विगत चार सालों से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड की आर्थि​क स्थिति को देखते हुए तमाम घोषणाएं की और उनको पूरा कराने का प्रयास किया है।
भाजपा के केंद्रीय परिवेक्षक रमन सिंह और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत सिंह देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में कोर ग्रुप की बैठक के लिए पहुंच चुके है। कोर ग्रुप की बैठक में विधायकों की नाराजगी को लेकर चर्चा होने की संभावना के साथ ही नाराजगी को दूर करने का प्रयास किये जाने की संभावना है। वही विधानसभा का बजट सत्र भी अनिश्चित काल के स्थगित कर दिया गया है।
भाजपा सूत्रों के अुनसार गैरसेंण को कमिश्नरी बनाए जाने को लेकर क्षेत्रीय विधायकों की कड़ी नाराजगी थी। बताया कि कमिश्नरी बनाए जाने से पूर्व विधायकों की राय शुमारी नही की गई। वही तीन मंत्री नहीं भरे जाने को लेकर भी रोष है। उत्तराखंड में तीन मंत्री पद खाली चल रहे है। जबकि भाजपा प्रचंड बहुमत से सरकार में आई है। इसके अलावा नए राज्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भी विधायकों की मुख्यमंत्री से नाराजगी है। इन सभी कुछ खास बातों को लेकर परिवेक्षक की कोर ग्रुप में बातचीत होनी है। लेकिन विरोधियों ने इस बैठक को हवा देते हुए मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं को जोर पकड़ा दिया। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में टांसवर पोस्टिंग की दलाली बंद करने के साथ ही गरीब जनता के हितों में कार्य करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किए है। मुख्यमंत्री की ईमानदारी भी विधायकों की एक नाराजगी का बड़ा कारण बताई जा रही है।