मेरठ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय एवं इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को ग्राम दाह में निशुल्क पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन कुलपति डॉ. के0के0 सिंह के मार्ग दर्शन में किया गया।

इस अवसर पर पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ0 राजीव सिंह ने कहा कि मौसम ने करवट लेना शुरू कर दिया है और धीरे धीरे तापमान नीचे गिर रहा है। ऐसे में पशुओं का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

डॉ0 राजबीर सिंह ने बताया कि किसानों में आज भी गाय-भैंस के बयाने के बाद बच्चे को दूध पिलाने के लिए जेर गिराने का इंतजार किया जाता है। परन्तु यह एक भ्रान्ति है। उन्होंने पशुपालकों को सलाह दी कि यदि बच्चे को दो घंटे के अंदर माँ का पहला दूध (खीस) पिलाया जाए तो उसके बीमार होने की संभावना कम हो जाती है।

मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अमित वर्मा ने बताया कि खीस एक प्रकार का गाढ़ा दूध होता है जिसमें सामान्य दूध से कहीं अधिक मात्र में विटामिन, खनिज तत्व व प्रोटीन होती है। इसमें अतिरिक्त इसमें रोग प्रतिरोधक एन्टीबॉडीज भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते है, जो नवजात बच्चे को बीमारियों से बचाते हैं। परन्तु खीस पिलाने में एक सावधानी अवश्य रखनी चाहिए जैसे कि नवजात को उसके वजन के दसवें भाग के बराबर ही पिलाना चाहिए। अधिक मात्रा में खीस/दूध पिलाने से नवजात को दस्त लगने का खतरा बढ़ जाता है। यदि गाय/भैंस को बयाने से पहले पेट के कीड़े की दवा नहीं दी गई तो नवजात को 15 दिन के बाद अवश्य देनी चाहिये।
इस चिकित्सा शिविर के माध्यम से डॉ. अमित वर्मा, डॉ. अरबिंद सिंह, डॉ. अजीत कुमार सिंह, डॉ. विकास जायसवाल, डॉ. अखिल पटेल, डॉ. रमाकान्त, डॉ. विष्णु राय आदि ने 163 छोटे बड़े पशुओं में गर्भधारण की समस्या, किलनी, पेट में कृमिनाशक दवा और अन्य मौसमी बीमारियों के लिए दवा वितरित किया तथा उचित परामर्श दिया गया। इसके अतिरिक्त पशुओं के लिये खनिज मिश्रण भी वितरित किया गया, जिससे पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ने के साथ साथ पशुओं का स्वाथ्य भी ठीक रहे। शिविर के आयोजन में पशु चिकित्साधिकारी दोघट डॉ. भरत सिंह और उनकी टीम ने सहयोग प्रदान किया।