नवीन चौहान
हरिद्वार। सूदखोर अपनी रकम वसूलने के लिये वेस्ट यूपी के बदमाशों की मदद ले रहे है। प्रोपर्टी के कारोबार में आई मंदी के बाद सूदखोरों और कालोनाइजर के गठजोड़ की हकीकत सामने आने लगी है। सूदखोर अपने-अपने माध्यमों से सूद की रकम निकालने के बदमाशों से मिलकर तमाम हथकंडे अपना रहे है। ऐसे ही एक प्रकरण में कनखल के किराना कारोबारी ने बदमाशों की मदद ली है।
धर्मनगरी में राज्य गठन के बाद से प्रोपर्टी के कारोबार में चमक बढी थी। जमीनों के दाम आसमास छूने लगे थे। करीब डेढ दशक तक प्रोपर्टी के कारोबार में उछाल रहा। इन कालोनाईजरों ने जमीन खरीदने के लिये सूदखोरों से संपर्क किया। सूदखोरों ने मोटे ब्याज के लालच में अपना करोड़ों की रकम कालोनाईजर के पास जमा करा दी। कालोनाइजर ने जमीने खरीदकर कालोनियां काटी और मुनाफा कमाया। इस मुनाफे की रकम से सूदखोरों को ब्याज दिया गया। सूदखोरों और कालोनाइजरों का गठजोड़ पक्का होने लगा। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद प्रोपर्टी के कारोबार में मंदी छाने लगी। जमीनों के रेट स्थिर हो गये। जमीन मे निवेश करने वाले लोगों ने जमीनों की खरीद फरोख्त बंद कर दी। इसके बाद मोदी सरकार ने नोट बंदी कर दी। इस नोट बंदी ने प्रोपर्टी के कारोबार को पूरी तरह से चौपट कर दिया। जमीनों में निवेश करने वाले लोगों की कमीं आ गई। कालोनाइजरों का कारोबार खत्म होने लगा। कालोनाईजरों का धंधा बंद होने लगा तो सूदखोरों को अपनी रकम डूबने का खतरा मंडराने लगा। सूदखोरों ने अपनी रकम वसूलने के लिये जतन करने शुरू कर दिये। जब भारी भरकम ब्याज और मूल रकम नहीं मिली तो बदमाशों के दरवाजे पर सूदखोर पहुंच गये। सूदखोरों ने बदमाशों की मदद से कालोनाइजरों पर रकम निकलवाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे ही कई मामले पुलिस कार्यालयों में पहुंचने लगे है। कनखल के एक किराना कारोबारी ने अपनी रकम निकालने के लिये कुख्यात बदमाश से मदद ली है।