न्यूज127, देहरादून
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा में फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे शामिल होने की साजिश रचने वाला आरोपी आखिरकार दून पुलिस के शिकंजे में आ गया। अभिलेखों में हेराफेरी कर एक ही परीक्षा के लिए तीन अलग-अलग केंद्रों से आवेदन करने वाले इस अभियुक्त को पुलिस ने शनिवार को हिरासत में ले लिया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा गठित विशेष टीम ने आयोग से प्राप्त शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी की करतूत का पर्दाफाश किया। जांच में सामने आया कि सुरेन्द्र कुमार पुत्र सलेक कुमार निवासी कनकपुर, भोजपुर मोदीनगर, गाजियाबाद (उ.प्र.) ने आगामी सहकारी निरीक्षक वर्ग-2 / सहायक विकास अधिकारी परीक्षा हेतु फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे तीन मोबाइल नंबरों से तीन अलग-अलग आवेदन किए थे।
पुलिस की गोपनीय जांच में खुली पोल
आयोग द्वारा संदिग्ध अभ्यर्थी की सूचना मिलने पर एसएसपी देहरादून ने गोपनीय जांच के आदेश दिए। जांच में पुष्टि हुई कि सुरेन्द्र कुमार ने टिहरी, हरिद्वार और देहरादून तीनों जिलों के परीक्षा केंद्रों से अलग-अलग आवेदन जमा कराए थे। उसके दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच में पाया गया कि उसने परीक्षा में अनुचित लाभ प्राप्त करने की नीयत से फर्जी प्रमाणपत्रों का प्रयोग किया था।
फर्जीवाड़े की कहानी:
पुलिस पूछताछ में अभियुक्त ने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि वह मूल रूप से कनकपुर भोजपुर मोदीनगर (गाजियाबाद) का निवासी है और वर्तमान में पिलखुआ, हापुड़ में पत्नी और माता-पिता के साथ रहता है। वह एक निजी स्कूल में अध्यापक है और उसकी पत्नी उसी स्कूल में शिक्षिका है।
सुरेन्द्र की वास्तविक जन्मतिथि 1 अप्रैल 1988 है, लेकिन सरकारी नौकरी की उम्र सीमा निकलने पर उसने गाजीपुर से 2012 में दोबारा हाईस्कूल और 2014 में इंटरमीडिएट की परीक्षा दी, जिसमें जन्मतिथि 1 जनवरी 1995 दर्शाई। इसके अलावा उसने राजस्थान से 2012 में और सोलन (हिमाचल प्रदेश) से 2018 में दो बार बी.ए. की डिग्री भी हासिल की।
योजनाबद्ध तरीके से उम्र कम दर्शाते हुए उसने तीन जिलों से आवेदन किया ताकि किसी न किसी केंद्र पर प्रवेश मिल सके। आरोपी के खिलाफ थाना रायपुर पर मु.अ.सं. 311/25, धारा 318(4), 336(3), 340(2) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
एसएसपी देहरादून के निर्देश पर कार्रवाई तेज
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने इस फर्जीवाड़े के पूर्ण अनावरण हेतु एसओजी प्रभारी निरीक्षक मुकेश त्यागी के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की थी। टीम ने सुरेन्द्र कुमार को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ की और उसके कृत्यों की पुष्टि के बाद विधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी।