स्वाति सिंह
भारत की अनेकों वीरांगनाओं ने देश को आजादी दिलाने के लिए प्राणों की बलि दे दी। उनको शौहरत ना मिली हो तो कोई बात नही लेकिन भारत मां की सच्ची बेटी बनने का गौरव उनको हासिल है। ऐसी ही वीरांगना दुर्गा भाभी है। यह वही दुर्गा भाभी है, जिन्होंने साण्डर्स हत्या के बाद राजगुरू और भगतसिंह को लाहौर से अंग्रेजो की नाक के नीचे से निकालकर कोलकत्ता ले गयी. इनके पति क्रांतिकारी भगवती चरण वर्मा थे. यह भी कहा जाता है कि चंद्रशेखर आजाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वह भी दुर्गा भाभी ने ही उनको दिया था।
14अक्टूबर साल 1999 में वो इस दुनिया से गुमनामी का जीवन जीने के बाद विदा हो गयी। कुछ चंद अखबारों ने उनके बारे में जरूर छापा।लेकिन देश ही आजादी के इतने साल के बाद भी न तो उस वीरांगना को इतिहास के पन्नों में वो जगह मिल पाई। जिसकी वो वास्तविक हकदार थीं। और न ही वो किसी को याद रही चाहे वो सरकार हो या जनता.
सबसे अजीब बात तो यह है कि एक स्मारक का नाम तक उनके नाम पर नही है। कहीं कोई मूर्ति नहीं है। सरकार तो भूली ही जनता भी भूल गयी। ऐसी वीर वीरांगनाओं को हम शत शत नमन करते है और भविष्य में ऐसे तमाम वीरों को सम्मान दिलाने के लिये प्रयासरत रहें।
शहीद भगत सिंह और राजगुरू को अंग्रेजों से छिपाकर ले गई दुर्गा भाभी




