नवीन चौहान
अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर और दक्षिण पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर के पट्टाभिषेक से पहले ही विवाद गहरा गया है। इस पद पर आसीन स्वामी प्रज्ञानानंद गिरी महाराज ने कहा कि वे ही श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस पीठ को बिकने नहीं दिया जाएगा।
रविवार को उत्तरी हरिद्वार स्थित एक आश्रम में श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद गिरी महाराज ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी कैलाशानंद महाराज की योग्यता और प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनैतिक पार्टियों की कठपुतली है। उन्हीं के इशारों पर कार्य करते हैं। उनकी महत्वाकांक्षा लगातार बढ़ती जा रही है। अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए साम, दंड की नीतियों को अपना रहे है। उन्होंने पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज की शैक्षिक एवं अन्य योग्यता पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि 13 मार्च-2019 में जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के साथ कई बड़े संतों के सानिध्य में आचार्य महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक हुआ था। उन्होंने बताया कि आचार्य पद त्यागपत्र देने के बाद ही खाली होता है, लेकिन वे अभी भी इस पद पर आसीन है। ऐसे में किसी दूसरे संत का पट्टाभिषेक कैसे हो सकता है। कहा कि वे ही श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं और बने रहेंगे।
आचार्य हूं और आचार्य रहूंगा, इस पीठ को बिकने नहीं दूंगाः प्रज्ञानानंद महाराज



