“नई शिक्षा नीति से सशक्त होगा ‘लोकल टू ग्लोबल’ दृष्टिकोण, भाषाई गर्व से जगमगाएगा भारत का भविष्य”
देहरादून।
हरिद्वार सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि भारत तभी विश्वगुरु बनेगा जब हमारा शिक्षा तंत्र ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के साथ हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा रहेगा।
वे आज अपने संसदीय क्षेत्र के शहीद दुर्गामल्ल राजकीय पीजी कॉलेज, डोईवाला में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference) में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। सम्मेलन में विभिन्न देशों के शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लिया तथा वैश्विक शिक्षा, नवाचार और सतत विकास के विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
“वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना ही भारत की पहचान
अपने प्रेरक उद्बोधन में सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत की ज्ञान-परंपरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्श पर आधारित रही है।
उन्होंने कहा कि जब देश ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प की ओर बढ़ रहा है, तब शिक्षा और अनुसंधान हमारे युवाओं को विश्व नेतृत्व के लिए तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP-2020) भारत की प्राचीन सांस्कृतिक जड़ों और आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण का अद्भुत संगम है — यह शिक्षा को ग्रामीण से वैश्विक स्तर तक लोकतांत्रिक बना रही है।
भाषा ही संस्कृति और आत्मविश्वास का आधार
सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिंदी और संस्कृत के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर विशेष बल देते हुए कहा कि मातृभाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, विचार और आत्मविश्वास का आधार है।
उन्होंने कहा कि भारत तभी सशक्त और आत्मनिर्भर बनेगा जब हम अपनी भाषायी विरासत को गर्वपूर्वक अपनाएंगे।
शहीद दुर्गामल्ल की स्मृति से प्रेरणा लें युवा
सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि शहीद दुर्गामल्ल के नाम पर स्थापित यह शिक्षण संस्थान न केवल उच्च शिक्षा का केंद्र है, बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रेरक स्रोत भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे शैक्षणिक मंच युवाओं को अध्ययन के साथ-साथ ‘लोकल टू ग्लोबल’ दृष्टिकोण को सशक्त करने का अवसर प्रदान करते हैं — और यही भविष्य के विकसित भारत की असली पहचान है।
कार्यक्रम में रही प्रबुद्ध उपस्थिति
कार्यक्रम में विधायक डोईवाला बृज भूषण गैरोला, कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. पीडी. भट्ट, कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष प्रो. मनमोहन कृष्णा, प्रो. अमित ठाकुर, प्रो. एसपी. सिंह (IIT रूड़की), प्रो. सी. वा. सिंह (बुंदेलखंड विश्वविद्यालय), विनोद श्रीवास्तव, डॉ. राकेश सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन, शिक्षाविद और विद्यार्थी उपस्थित रहे।