नवीन चौहान
सात साल की बहादुर मासूम अमीता पिता की मौत के बाद मां के आंसू पोछ रही है। हाथों में टैडी बीयर हैं। मां की आंखों के आंसूओं को देखकर वह खुद भी बीच-बीच में रो देती है। उस मासूम को ये नहीं मालूम कि उसके पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं। घर की माली हालात खराब है। दो वक्त की रोटी के लाले हैं। सीता ने देवर से आर्थिक सहायता लेकर अपने पति का दाह संस्कार किया है।
न्यूज127डॉट कॉम ने इस परिवार की आर्थिक स्थिति को देखने गये तो सात साल की बहादुर मासूम अमीता अपनी मां सीता के पास बैठी थी। मां सीता दहाडे़ मार-मारकर रो रही थी तथा अमीता उसके पास में बैठकर मां के आंसू पोछ रही थी। उसके हाथों में एक छोटा सा टैडी बीयर था। जिससे अमीता को शायद बहुत लगाव है। हमको देखते ही अमीता ने नमस्ते की। बतादे कि गुरूवार की सुबह अमीता के पापा हीरालाल ने टीनशेड के एक कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी। उस वक्त अमीता अपने पापा के पास कमरे में थी। तथा मां सीता पड़ोस के घरों में बर्तन मांझने गई थी। अमीता ने हिम्मत दिखाते हुये फांसी का फंदा बनाकर झूल रहे अपने पापा के फंदे को चाकू से काटकर बचाने का प्रयास किया था। लेकिन वो मर चुका था। अमीता ने हिम्मत नहीं हारी थी। वो अपने पापा को बचाने के लिये चिल्ला रही थी। उसने पास में ही टीनशेड के मालिक को सूचना दी। जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंच गई तथा उसकी मां सीता आ गई थी। इसी परिवार की आर्थिक स्थिति को जानने के लिये जब हम उसके घर गये। तो अमीता उसकी मां वहां नहीं मिली। पता चला कि टिबडी में एक झोपड़ी में सीता अपने देवर के पास गई है। सीता और अमीता उसी झोपड़ी में मिल गई। अमीता को ये भी नहीं मालूम है कि हम कौन है। अमीता ने हमको नमस्ते की। रोती हुई अमीता की मां को तो हम कुछ कह नहीं पाये। लेकिन अमीता की शिक्षा और इस परिवार की आर्थिक मदद का संकल्प लेकर हम वहां से लौट आये।
पापा की मौत के बाद मां के आंसू पोछ रही बहादुर अमीता, जानिये पूरी खबर

