राष्ट्रभृत महायज्ञ: डीएवी के युवा आर्य अग्निदेव की परीक्षा में पास, पवनदेव से मिला आशीर्वाद




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नवीन चौहान
मां गंगा के तट पर 5100 कुंडीय राष्ट्रभृत महायज्ञ बेहद अदभुत, अकल्पनीय रहा। गायत्री मंत्रोच्चारण के साथ तमाम युवा आर्य हवन यज्ञ में आहूति डाल रहे थे।

हवन यज्ञ में आहूति देकर अग्नि को प्रज्जवलित कर रहे युवा आर्यो की परीक्षा लेने के लिए स्वयं पवनदेव ने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मानो अग्निदेव और पवनदेव के बीच भयंकर मुकाबला चल रहा हो भारत की माटी में जन्मे और डीएवी संस्था के शिक्षा ग्रहण कर रहे तमाम युवा आर्य निडरता के साथ हवन यज्ञ के सामने बैठकर महायज्ञ की पूर्ण आहूति देते रहे। पवनदेव और अग्निदेव भी युवा आर्यो को आशीर्वाद दे गए।
हरिद्वार के चंडीघाट स्थित नमामि गंगा घाट का 12 दिसंबर 2024
का दिन ऐतिहासिक रहा। शाम के साढ़े पांच बजे डीएवी के युवा आर्य एक नया कीर्तिमान स्थापित करने के लिए आ चुके थे। उत्तराखंड के तमाम डीएवी स्कूलों से 5100 युवा आर्य पीत वस्त्र धारण कर महायज्ञ करने के लिए अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे। युवा आर्यो में बालक और बालिका दोनों ही शामिल थे। नन्ने मुन्ने युवा आर्य पीले कुर्ते में सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। सभी युवा आर्यो ने हवन यज्ञ की तैयारी पूर्ण की। हवनकुंड, घी, सामग्री और समिधा को अपने स्थान पर ही गंगाजल से शुद्ध किया।
महायज्ञ के मुख्य सूत्रधार युवा आर्य समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगी सूरी जी युवा आर्यो को वैदिक ज्ञान का मूल मंत्र देते है। जीवन में आनी वाली तमाम कठिनाईयों से मुकाबला करने के लिए कुछ सूत्र देते है। योगी सूरी जी के मुंह से निकले वचन युवा आर्यो के आत्मबल को बढ़ा रहे थे। युवा आर्यो में एक नई चेतना का संचार हो रहा था। महायज्ञ को सफल बनाने का दृढ़ संकल्प लेकर हवन यज्ञ के सामने बैठे युवा आर्य कोई नया इतिहास लिखने जा रहे है। आने वाली नई पीढ़ी को आर्य समाज के द्वारा रचित वेदों के ज्ञान से जोड़ने की कवायद है।
मधुर संगीत की धुनों के साथ गायत्री मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ प्रारंभ होता है। युवा आर्य हवन बेदी में समिधा रख चुके थे। वेदों की गूंज तेज ध्वनि के साथ प्रचारित हो रही थी। युवा आर्यो ने समिधा में घी, सामग्री डालकर अग्नि को प्रज्जवलित किया। महायज्ञ शुरू हो चुका था। वेद गुंजायमान हो रहे थे।
अदभुत, आलौकिक, विहंगम दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्या में अभिभावक, शिक्षक, शिक्षिकाएं दांतो तले अंगुली दबा रहे थे। हवन यज्ञ शुरू हुआ तो अग्निदेव प्रसन्नता के साथ प्रज्जलित हो उठे। मंद मंद गति से आ रहे पवनदेव अचानक से तेज गति से चलने लगे। हवा तेज हुई तो अग्निदेव भी भड़क उठी। धुआं बढ़ने लगा। युवा आर्यो अपने स्थान पर एकाग्रचित्त होकर यज्ञ करते रहे। कार्यक्रम स्थल की सभी लाइटों को पहले ही बंद किया जा चुका था। हवन यज्ञ की अग्नि, पवनदेव की तेज गति और 5100 बच्चों की तपस्या सफल हो रही थींं।
युवा आर्यो के अदम्य साहस को देखकर अग्निदेव और पवनदेव दोनों ही प्रसन्नचित्त होकर अपना आशीर्वाद दे गए। यज्ञ पूर्ण हो चुका था। हवा एकदम शांत ​थी। इसी के साथ महायज्ञ सकुशल संपन्न हो चुका था। युवा आर्यो का आत्मविश्वास चरम पर था।
महायज्ञ का यह पूरा कार्यक्रम नई युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बोध करा रहा था। इसी के साथ आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी वैदिक ज्ञान को भी स्मरण करा रहा था।