संवाददाता
उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा साल 2025 में पूरे उत्साह के साथ चरम की ओर बढ़ रही है। बारिश और बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी देखी जा रही है। केदारनाथ यात्रा ने साल 2025 में नया रिकॉर्ड बना दिया है। केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या 16 लाख 56 हजार के पार पहुँच गई, जबकि अभी धाम के कपाट बंद होने में 14 दिन शेष हैं। जबकि वर्ष 2024 में पूरे यात्राकाल में कुल 16 लाख 52 हजार 76 श्रद्धालु केदारनाथ दर्शन के लिए पहुंचे थे। बुधवार को केदारनाथ धाम में 5614 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। केदारनाथ के कपाट आगामी 23 अक्टूबर को भैयादूज के अवसर पर बंद होंगे।

अन्य धामों में भी बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या
बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी इस समय यात्रियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। प्रदेश सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के उत्साह को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित यात्रा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यात्रा मार्गों पर सुरक्षा जवानों की तैनाती की गई है।
भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर मलबे की सफाई के लिए जेसीबी की व्यवस्था की गई है, ताकि यातायात सुचारू रूप से चलता रहे।
चारधाम यात्रा का आरंभ और मौसम की चुनौतियां
इस वर्ष चारधाम यात्रा का आरंभ 30 अप्रैल को गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुआ। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए।
मानसून सीजन में अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के चलते चारधाम यात्रा प्रभावित हुई थी। गंगोत्री धाम का महत्वपूर्ण पड़ाव धराली बुरी तरह तबाह हो गया। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा कुछ समय के लिए रोकनी पड़ी थी।
बारिश थमने के बाद भी यात्रा को बहाल करना बड़ी चुनौती था। प्रशासन और शासन की टीमों ने युद्धस्तर पर कार्य कर आम जनजीवन की बहाली के साथ ही यात्रा मार्गों को सुचारू किया।
यात्रियों के लिए सुरक्षा और चेतावनी
प्रशासन की ओर से यात्रियों को लगातार सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। मौसम खराब होने पर यात्रा न करने और सुरक्षित स्थान पर शरण लेने की बार-बार हिदायत दी जा रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता हो। यात्रा मार्गों पर सभी आवश्यक सुविधाओं और सुरक्षा इंतजामों का पूरा ध्यान रखा जाए। सभी जिम्मेदार अधिकारी अलर्ट मोड पर रहें, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सके।