बड़ा सवाल आखिर चार राज्यों में हो रहे चुनाव और हरिद्वार में चल रहे कुंभ के दौरान ही यह कुर्सी परिवर्तन क्यों




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नवीन चौहान
उत्तराखंड की राजनीतिक उतार चढ़ाव के बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर कुर्सी परिवर्तन अभी क्यों, ऐसा क्या हुआ जो रातोंरात त्रिवेंद्र सिंह को स्वयं इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रदेश में इस समय ​हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा है। देश ​विदेश की नजर इस कुंभ आयोजन पर है। निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में कुंभ को भव्य और आलौलिक बनाने की तैयारी की गई हैं। वहीं दूसरी और चार राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। सबसे अधिक चुनावी सरगमी बंगाल में है। ऐसे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का इस्तीफा और उनके स्थान पर दूसरे नए सीएम को बैठाने की वजह हर कोई जानना चाहता है। प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि मुख्यमंत्री स्वच्छ छवि वाले हैं तो फिर अपनों ने ही उनकी कुर्सी क्यों खाली करायी, क्यों कुंभ आयोजन के बीच में और चुनावी सरग​रमियों के बीच यह फैसला लिया गया। नया सीएम कौन होगा क्या वह सभी को साथ लेकर चलेगा, क्या वह त्रिवेंद्र सिंह रावत गुट को मनाने में कामयाब होगा, क्या नया सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरोधियों के खेमे का होगा, ऐसे तमाम सवाल हैं जिन्हें प्रदेश की जनता जानना चाहती है।

हालांकि अभी तक के नामों में धनसिंह रावत का नाम सबसे आगे चल रहा है। माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भले ही मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया हो लेकिन केंद्रीय नेतृत्व उन्हें भी किसी बड़ी जिम्मेदारी को देने के पक्ष में है। उन्हें केंद्र में मंत्रीमंडल पद भी दिया जा सकता है ताकि ये मैसेज जाए कि उनकी काबलियत को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
माना ये भी जा रहा है कि विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का नाम तय ही नहीं किया जाए, यहां से केवल एक प्रस्ताव पारित कर केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया जाए जिसमें लिखा जाए कि केंद्रीय नेतृत्व स्वयं कोई भी नाम फाइनल कर दें, वह जिसका नाम तय कर देगा यहां सभी उसे अपना नया मुख्यमंत्री मान लेंगे।

केंद्रीय नेतृव्त भी इस पूरे मामले में गंभीरता के साथ कदम उठा रहा है। वह जानता है कि यदि कोई ऐसा नाम सीएम के ​लिए फाइनल किया जिसका दूसरा पक्ष विरोध करेगा तो मुश्किल कम नहीं होगी। इस समय बंगाल समेत चार राज्यों में चुनाव है, ऐसे में कोई गलत मैसेज न जाए यह भी केंद्रीय नेतृत्व देख रहा है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि इस पूरे प्रकरण के बाद ये तय है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को अब प्रदेश की राजनीति से बाहर रखते हुए केंद्र की राजनीति में शामिल किया जाएगा। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व में ही कोई जगह देकर उनका कद बनाए रखा जाएगा।