जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया की अनूठी पहल: 24 घंटे में 20 मिनट पढ़ने की आदत




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पौड़ी प्रशासन की पहल से पठन संस्कृति को नई दिशा — शिक्षा, संस्कृति और साहित्य का संगम

पथ प्रवाह, पौड़ी
जनपद पौड़ी में शिक्षा, साहित्य और संस्कृति का सुंदर संगम उस समय देखने को मिला जब सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत जनपद के 50 राजकीय इण्टर कॉलेजों के पुस्तकालयों हेतु हिन्दी साहित्य की पुस्तकों के वितरण का भव्य आयोजन अटल आदर्श राजकीय इण्टर कॉलेज, पौड़ी में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राजकीय इण्टर कॉलेज, पौड़ी नगर के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत की मनमोहक प्रस्तुति देकर माहौल को सांस्कृतिक रंगों से भर दिया। इस अवसर पर जनपद के प्रतिष्ठित साहित्यकारों — नागेन्द्र सिंह कठैत, गणेश खुगशाल (गणी), वीरेंद्र खंकरियाल और संदीप रावत — को साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

“पठन संस्कृति को पुनर्जीवित करना ही असली उद्देश्य” — जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया

मुख्य अतिथि के रूप में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम केवल पुस्तकों के वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों में पठन की आदत और ज्ञान के प्रति जिज्ञासा को पुनर्जीवित करना है।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हर बच्चा प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट पढ़ने की आदत डाले। यह 24 घंटे में 20 मिनट का छोटा-सा प्रयास, भविष्य में उनके व्यक्तित्व और सोच में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि विद्यालयों में ऐसा माहौल बनाएं जहाँ हर विद्यार्थी को प्रतिदिन कुछ नया पढ़ने की प्रेरणा मिले।

जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि तकनीकी युग में डिजिटल व्यसन (Digital Addiction) से बचते हुए तकनीक को सीखने का साधन बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्यकार समाज के विचारशील दर्पण हैं, और उनका सम्मान हमारी सांस्कृतिक चेतना का सम्मान है।

मुख्य शिक्षाधिकारी नागेंद्र बर्तवाल ने कहा कि पुस्तकालय केवल कमरा नहीं, बल्कि ज्ञान का मंदिर हैं। उन्होंने कहा कि किताबें सबसे प्रामाणिक और स्थायी स्रोत हैं जो विद्यार्थियों में चिंतन, विश्लेषण और अभिव्यक्ति की क्षमता को विकसित करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय में “प्रतिदिन पढ़ो – प्रतिदिन बढ़ो” की भावना से यह अभियान चलाया जाए।
प्रसिद्ध साहित्यकार वीरेंद्र खंकरियाल ने कहा कि पुस्तकें केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि विचारों की जीवंत ऊर्जा हैं जो पीढ़ियों को दिशा देती हैं।
उन्होंने कहा कि जब पाठन की परंपरा मजबूत होती है तो समाज में विवेक, संवेदनशीलता और रचनात्मकता का विकास होता है।
उन्होंने जिलाधिकारी के प्रयासों को “सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रयास” बताया।
कार्यक्रम में कुल 50 राजकीय इण्टर कॉलेजों को पुस्तकें वितरित की गईं —
जिनमें विकासखंड पाबौ के 11, पौड़ी के 02, कोट के 14, खिर्सू के 09, कल्जीखाल के 09 और एकेश्वर के 05 विद्यालय शामिल हैं।
पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत की अनुशंसा पर आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने पौड़ी प्रशासन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया के नेतृत्व में शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण और ऊर्जा देखने को मिल रही है।
इस अवसर पर पीडी डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, मुख्य शिक्षाधिकारी नागेंद्र बर्तवाल, खंड शिक्षाधिकारी मास्टर आदर्श, प्रभारी प्रधानाचार्य वेद प्रकाश डोभाल, कार्यक्रम संयोजक मुकेश कुमार सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, साहित्यकार, शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे