नवीन चौहान
हरिद्वार के तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को एसआईटी ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। एसआईटी प्रभारी आईपीएस मंजूनाथ टीसी ने छात्रवृत्ति घोटाले के प्रकरण में करीब आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की और अहम जानकारी जुटाने का प्रयास किया। एसआईटी ने आरोपी के मुंह से कई अहम राज उगलवा लिया है। जिसके बाद देर शाम आरोपी की गिरफ्तारी की कार्रवाई पूरी की गई। संभावना जताई जा रही है कि अब कई स्ववित्त पोषित शिक्षण संस्थाओं पर और शिकंजा कसेगा।
उत्तराखंड में करीब आठ सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच एसआईटी कर रही है। आईपीएस मंजूनाथ टीसी एसआईटी प्रमुख के तौर पर पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ इस जांच की गहनता से पड़ताल कर रहे है। उन्होंने करीब 1700 पन्नों का डाटा विश्वविद्यालयों से जुटाया है। जिसके बाद कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र और छात्रवृत्ति हासिल करने वाले छात्रों के रिकार्ड का मिलान किया गया। एसआईटी की विवेचना में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी रहे अनुराग शंखधर की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। सवाल उठा कि आखिरकार फर्जी एडमिशन लेने वाले छात्रों की छात्रवृत्ति की संस्तुति समाज कल्याण अधिकारी ने कैसे कर दी। एसआईटी ने अनुराग शंखधर के खिलाफ तमाम पुख्ता सबूत जुटा लिए। और पूछताछ के लिए बुलाया। एसआईटी ने बचने के लिए विभाग से कई दिनों से बिना सूचना गायब हो गए। अनुराग पर जब शासन ने निलंबन की कार्रवाई का शिकंजा कसा तो वो निदेशालय हाजिर हुए। वही दूसरी ओर हाईकोर्ट ने अनुराग शंखधर को पेश होने के आदेश जारी कर दिए। इसी के चलते आरोपी अनुराग शंखधर 16 मई की सुबह 11 बजे एसआईटी के समक्ष पेश हुूए। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने बताया कि आरोपी अनुराग शंखधर को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनपर पद का दुरप्रयोग, भष्टाचार अधिनियम, धोखाधड़ी समेत कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। बताते चले कि तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर अपना कमीशन लेकर कॉलेज प्रबंधकों को फायदा पहुंचाता था। फर्जी छात्रों के नाम पर भी छात्रवृत्ति की रकम सरकार के खाते से कॉलेज प्रबंधकों को दिला दी गई। सरकार का खजाना खाली होता रहा और आरोपी अनुराग शंखधर जैसे आरोपी अपनी जेब भरते रहे।