नवीन चौहान, हरिद्वार। धर्मनगरी में नोटबंदी, खनन और गोकशी के धंधे बंद होने का असर अपराध के रुप में सामने आ रहा है। बेरोजगार लोग जरायम की दुनिया में कदम बढ़ा रहे है। बेरोजगार युवक अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिये चोरी और रोड़ होल्ड अप कर लूट जैसी संगीन वारदात को अंजाम दे रहे है। गत दिनों कलियर में एक युवक ने महज पांच सौ रुपये के लिये लूट की वारदात की। इसके अलावा कई और आपराधिक मामलों में लूट और चोरी की वारदात के खुलासे के दौरान अपराधियों की आर्थिक स्थिति एक अहम वजह निकलकर सामने आई है। ये भारत के भविष्य में खतरनाक संकेत की ओर इशारा कर रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत से भरष्टाचार खत्म करने के लिये नोटबंदी की। देश में जीएसटी को सख्ती के साथ लागू किया गया। पीएम मोदी की ये कवायद भरष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में एक पहल थी। इसके अलावा उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश में गोकशी और खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया। जिसका परिणाम ये रहा कि खनन और गोकशी से जुड़े हजारों लोग एकाएक बेरोजगार हो गये। इसी के साथ जीएसटी में कारोबार प्रभावित होने के चलते कई कंपनियों और कारोबार पूरी तरह से बंद हो गये। जिसके कारण लोगों का रोजगार पूरी तरह से खत्म हो गया। लोगों के घरों में दो जून की रोटी के लाले पड़ गये। इन बेरोजगारों में कई बेरोजगारों ने अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिये अपराध की दुनिया में रुख कर लिया। बेरोजगारी की इस हकीकत का खुलासा खुद अपराधियों ने किया। पांच सौ रुपये की लूट के आरोप में गिरफ्तार एक आरोपी ने पुलिस से खुलासा किया कि वह पूरी तरह से बेरोजगार था। उसके पास पेट भरने के लिये लूट और चोरी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। जब एसएसपी कृष्ण कुमार वीके से इस बावत जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि आरोपी ने महज पांच सौ रुपये के लिये लूट की है। इसके अलावा कई वारदातों में आरोपियों ने महज चार हजार के लिये लूट और चोरी की। लूट और चोरी की वजह आर्थिक हालात को जिम्मेदार ठहराया है।