रिश्वतखोर महिला दरोगा को सात साल की सजा, सेवा से किया बर्खास्त




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न्यूज 127.
दहेज उत्पीड़न के मामले में 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार हुई महिला दरोगा को दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने सात साल की सजा सुनाई है। न्यायालय द्वारा महिला दारोगा को सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस विभाग में भी उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की गई। डीआईजी मेरठ रेंज कलानिधि नैथानी ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब कर दोषी महिला दरोगा को बर्खास्त करने के आदेश पारित कर दिये।

सांकेतिक फोटो

जानकारी के अनुसार महिला उप निरीक्षक अमृता यादव जब वर्ष 2017 में थाना कोतवाली, जनपद मेरठ में नियुक्त थी, तब दिनांक 13.06.2017 को शिकायतकर्ता समीर पुत्र खन्देरू नदाफ, नि० मकान नं०-सी-918 सीकरी रोड, थाना मोदीनगर, जनपद गाजियाबाद की शिकायत पर इनको थाना कोतवाली के मु०अ०स० 82/17 धारा 498ए/324/323/376/511/377/506 भादवि व 3/4 दहेज अधिनियम में धारा 376/377 भादवि कम कराने के एवज में रुपये 20,000/- उत्कोच लेते हुए बुढाना गेट पुलिस चौकी से भ्रष्टचार निवारण संगठन मेरठ की टीम द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। महिला उप निरीक्षक अमृता यादव के विरूद्ध थाना कोतवाली जनपद मेरठ पर मु०अ०सं० 111/2017 धारा 7/ 13(1)(डी) सपठित धारा-13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम पंजीकृत किया गया, जिसमें विवेचना उपरान्त आरोप-पत्र माननीय न्यायालय प्रेषित किया गया। माननीय न्यायालय, विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम / अपर सत्र न्यायाधीश, मेरठ द्वारा अभियोग के विचारण उपरान्त अपने निर्णय दिनांकित 05.09.2024 के द्वारा महिला उप निरीक्षक अमृता यादव को दोषी पाते हुये 07 वर्ष के कठोर कारावास व 75,000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

पुलिस उप महानिरीक्षक मेरठ परिक्षेत्र, मेरठ कलानिधि नैथानी द्वारा प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत उ०प्र०, अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली-1991 के नियम-8 (2) (क) के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का राजहित में प्रयोग करते हुए वर्तमान में जिला कारागार, मेरठ में निरूद्ध एवं जनपद बागपत में नियुक्त महिला उप निरीक्षक ना०पु० अमृता यादव को शासन एवं पुलिस मुख्यालय की मंशानुसार लम्बित पत्रावली तलब कर त्वरित निस्तारण करते हुए तत्काल प्रभाव से दिनांक 04.05.2025 को सेवा से पदच्युत (बर्खास्त) किये जाने के आदेश पारित किये गये हैं।

डीआईजी द्वारा बताया गया कि आरोपित पुलिस महिला उप निरीक्षक ना०पु० अमृता यादव के विरूद्ध पंजीकृत उक्त अभियोग में मा० न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किये जाने के फलस्वरूप इनका पुलिस जैसे अनुशासित बल में नियुक्त रहते हुए इस प्रकार का निन्दनीय कृत्य किया जाना न केवल पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करता है, अपितु इनके द्वारा पुलिस बल के पदस्थ के रूप में विभाग की गरिमा के विपरीत, इस प्रकार का निन्दात्मक आचरण करना इनकी स्वेच्छाचारिता, अनुशानहीनता एवं गम्भीर कदाचार को दर्शाता है। आरोपित महिला उप निरीक्षक द्वारा इस प्रकार का घोर निन्दात्मक कृत्य विभाग की छवि एवं गरिमा पर भी आम जनमानस के मन में प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

यदि इस प्रकार के आचरण वाले पुलिस कर्मी को विभाग में बनाये रखा जाता है तो इसका कुप्रभाव अन्य पुलिस कर्मियों पर भी पड़ेगा एवं पुलिस बल में नियुक्त अन्य पुलिस कर्मियों में भी इस प्रकार नैतिक अधमता की भावना प्रबल होगी। इस कारण आरोपी पुलिस उप निरीक्षक ना०पु० अमृता यादव को पुलिस बल में बनाये रखने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसा कर्मचारी उपरोक्त वर्णित विवरण एवं उसके निकृष्ट कोटि के आचरण के आधार पर किसी भी प्रकार की सहानुभूति अथवा दया का पात्र नहीं है। आरोपित महिला उप निरीक्षक के भ्रष्टाचार जैसे अनैतिक कृत्य में संलिप्त होने व उसके विरुद्ध दोषसिद्ध होने के उपरान्त पुलिस विभाग जैसे अनुशासित बल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।

डीआईजी ने ने स्पष्ट किया कि यदि कोई पुलिसकर्मी इस तरह के अति गंभीर गलत आचरण /अपराध मे पकड़ा जाता है एवं न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध भी किया जाता है तो न्यायिक दण्ड / कार्यवाही के साथ ही उसको सेवा से बर्खास्त भी किया जायेगा। इसके अलावा भ्रष्टचार निवारण सम्बन्धित शेष प्रकरणो का शीघ्र निस्तारण व उनमे शीघ्र सजा कराने के निर्देश सभी जनपद प्रभारियो को दिये गये हैं।