विजय सक्सेना
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल बच्चों की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से संजीदा है। स्कूली प्रबंधन की ओर से बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत व्यापक प्रबंध किए है। इसी के चलते बच्चों को स्कूल लाने और घर छोड़ने के लिए नई और चकाचक बसों का लगाया हुआ है। जिसमें चालक, परिचालक के अलावा एक महिला सुरक्षाकर्मी की तैनाती है। बसों में सुविधा के सभी अत्याधुनिक इंतजाम है। यही कारण है कि वर्तमान में करीब चार सौ अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल बस की सुविधा दिलाने के लिए प्रयासरत है। अभिभावकों के पत्र प्रधानाचार्य कार्यालय में जमा है।
हरिद्वार का जगजीतपुर स्थित डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी शिक्षण संस्थान है। स्कूल में अनुभवी शिक्षक, शिक्षिकाएं अध्यापनरत है। जबकि करीब चार हजार बच्चे स्कूल में शिक्षा ज्ञान अर्जित कर रहे है। बच्चों की सुरक्षा और व्यवस्था के दृष्टिगत स्कूल प्रांगण में व्यापक प्रबंध है। लेकिन अभिभावकों की सुविधा के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से बच्चों को घर से लाने और छोड़ने के लिए बस की सुविधा दी जाती है। इन बसों में बच्चों को बैठाने से पहले सुरक्षा के सभी मानकों की कसौटी पर खरा उतारा जाता है। एआरटीओ से फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद ही बच्चों को सुविधा दी जाती है। बसों में सीसीटीवी कैमरे,जीपीआरएस सिस्टम, फस्टेड किट और महिला सुरक्षाकर्मी भी उपलब्ध है। लेकिन बीते रोज एक बस में तकनीकी खराबी के चलते 20 मिनट की देरी पर अभिभावकों ने मीडिया के माध्यम से स्कूल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया। सबसे पहली बात कि सभी बच्चे स्कूल परिसर में अध्यापकों की मौजूदगी में सुरक्षित थे। दूसरी बात कि बस एक मशीनरी है। जिसका क्लच वायर अचानक टूट गया। जिसको बदलने में 20 मिनट का वक्त चालक को लगा। इस दौरान स्कूल प्रबंधन की ओर से बच्चों को घर भेजने के लिए दूसरी बस का प्रबंध भी कर लिया गया। लेकिन तभी जिस बस में खराबी थी, वह ठीक होकर आ गई। इस कारण बच्चे 20 मिनट की देरी से जरूर घर पहुंचे। कार्यवाहक प्रधानाचार्य मनोज कपिल ने बताया कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों की सुविधा के लिए बसों की सेवाएं प्रदान करता है। किसी अभिभावक को जबरदस्ती बसों में भेजने के लिए फोर्स नही किया जाता है। स्कूल के चालक और परिचालक स्थायी कर्मचारी है। अभिभावकों की अपेक्षाओं और सुविधाओं के चलते निजी एजेंसी की बस लगाई गई है। लेकिन अनुबंध के मुताबिक बस चार साल पुरानी नही हो सकती और सुरक्षा के सभी मानकों को पूरा करती है। ऐसे में स्कूल अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से संजीदा है। स्कूल में 3957 बच्चे अध्यध्यनरत है। करीब करीब एक हजार से अधिक बच्चे स्कूल बस की सुविधा लेते है। जबकि स्कूल की अपनी दस निजी बस अच्छी कंडीशन की है और छह बस निजी एजेंसी से अनुबंध पर ली गई है। कुछ स्कूल बस डबल राउंड में बच्चों को स्कूल में चक्कर लगाती है। अनुबंधित बसे नई और सभी सुविधाओं से युक्त है। लेकिन बस एक मशीनरी है और खराबी कभी भी आ सकती है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन या बस चालक,परिचालक की कोई लापरवाही जैसी कोई बात प्रतीत नही होती है।
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अभिभावक और स्कूल का एक पवित्र रिश्ता होता है। जिसमें अभिभावक अपनी समस्या को स्कूल प्रबंधन को बताते है। स्कूल अभिभावकों की समस्या को दूर करने का प्रयास करता है। लेकिन कलयुग में अब अभिभावक अपनी बात को मीडिया के माध्यम से स्कूल तक पहुंचाता है। नये दौर की नई बात।
अभिभावकों के ध्यानार्थ
गौरतलब है कि करीब ढाई हजार से अधिक बच्चे बैन या आटो से अभिभावकों की इच्छा पर ही स्कूल आते और जाते है। जिसमें सुरक्षा के व्यापक प्रबंध भी नही होते। जिसमें आए दिन खराबी भी होती है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अपने बच्चों को आटो या वैन में भेजकर आप कितना संतुष्ट है।