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इस बार 17 सितंबर दिन मंगलवार से अपने पूर्वजों को याद कर उनका आशीर्वाद लेने और जाने अंजाने में हुई भूल के लिए उनसे क्षमा मांगने को पितृपक्ष का प्रारंभ हो रहा है। एक तरफ भाग दौड़ वाली जिंदगी और दूसरी तरफ कर्मकांडीय विधान। लेकिन शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार कुछ ऐसे भी सरल कार्य हैं जिनसे आप अपने पितरों की आसानी से तृप्ति कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के मुताबिक 16 दिन के पितृपक्ष के समय शास्त्रों में वर्णित विधान के अनुसार प्रतिदिन प्रातः शुद्ध जल में काले तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर कर अपने समस्त पितरों का ध्यान कर जल उन्हें अर्पण करें। विष्णु पुराण के अनुसार यह प्रावधान है कि यदि परिस्थितियों वास्तव में अनुकूल न हो तो हाथ में कुशा लेकर और दक्षिण दिशा की ओर मुख कर कर पितरों का ध्यान कर, उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करें और एक लोटा जल अर्पण करें। ऐसा करने से भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितृपक्ष के दौरान सात्विक रहने का प्रयास करें मांस मदिरा आदि से दूर रहें मानसिक रूप से पितरों को नमन कर कर उनसे अपनी सुख शांति के लिए प्रार्थना करें। श्रद्धा पक्ष के दौरान प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर दूध और जल चढ़ाएं। गीता के तीसरे, सातवें और 11वें अध्याय का पाठ करें। यथासंभव गाय चींटी को कौवा और कुत्तों को यथासंभव भोजन प्रदान करें।
किस दिन कौन सा श्राद्ध
पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर दिन मंगलवार
प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर दिन बुधवार
द्वितीय का श्राद्ध 19 सितंबर दिन बृहस्पतिवार
तृतीया का श्राद्ध 20 सितंबर दिन शुक्रवार
चतुर्थी का श्राद्ध 21 सितंबर दिन शनिवार
पंचमी का श्राद्ध 22 सितंबर दिन रविवार
षष्टी का श्राद्ध 23 सितंबर दिन सोमवार
सप्तमी का श्राद्ध 24 सितंबर दिन मंगलवार
अष्टमी का श्राद्ध 25 सितंबर दिन बुधवार
नवमी का श्राद्ध 26 सितंबर दिनबृहस्पतिवार
दसवीं का श्राद्ध 27 सितंबर दिन शुक्रवार
एकादशी का श्राद्ध 28 सितंबर दिन शनिवार
द्वादशी का श्राद्ध 29 सितंबर दिन रविवार
त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितंबर दिन सोमवार
चतुर्दशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर दिन मंगलवार
अमावस्या का श्राद्ध व सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर दिन बुधवार