नवीन चौहान
हरिद्वार। बेरोजगारों को नौकरी देने में राज्य सरकार नाकाम साबित हो रही है। यूपीसीएल की परीक्षा करने के बावजूद 67 बच्चों को अभी तक नियुक्ति नहीं दी गई है। इन बेरोजगारों ने राज्य सरकार से कई बार नियुक्ति देने की गुहार लगाई है। मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी नियुक्ति की गुजारिश की हैं। लेकिन सरकार को इन बेरोजगारों की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही हैं। जिसके चलते ये सभी 67 बच्चे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
राज्य स्थापना दिवस का जश्न मनाने वाली उत्तराखंड सरकार की हकीकत इस खबर को लेकर लगाई जा सकती हैं। राज्य की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल हैं। राज्य को चलाने के लिये सरकार भारत सरकार से मिलने वाले बजट पर निर्भर हैं। यहीं कारण है कि उत्तराखंड के युवाओं को सरकारी नौकरी में नहीं रखा जा रहा हैं। वही जिन बच्चों ने नौकरी की परीक्षा पास कर ली है उनको नियुक्तियां नहीं दी जा रही है। उत्तराखंड के यूपीसीएल में 13 मई 2016 में 67 बच्चों ने परीक्षा पास की थीं। परीक्षा पास करने के बाद इन सभी को नियुक्ति की उम्मीद थी। लेकिन सरकार की ओर से करीब डेढ साल बीतने के बाद भी नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। सरकार से नियुक्ति के इंतजार में इन सभी बच्चों ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। इन सभी बच्चों की ओर से एक स्वर में नियुक्ति देने की मांग की गई। लेकिन सीएम की ओर से कोई सकारात्मक जबाव नहीं मिल पाया। जिसके बाद इन सभी 67 बच्चों में निराशा का भाव जाग्रत हो गया। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत की पारदर्शी सरकार पर अंगुली उठना लाजिमी हैं। सरकार को जल्द ही इन बेरोजगार युवकों को नियुक्ति देकर अपने नेक इरादे जाहिर करने चाहिये। ताकि समाज में त्रिवेंद्र सरकार का जनहित में एक अच्छा जाये।