हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का 700 करोड़ का तोहफा निजी संस्था को सौंपा, मेडिकल छात्रों से धोखा




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न्यूज 127.
हरिद्वार का राजकीय मेडिकल कॉलेज जगजीतपुर करीब सात सौं करोड़ की लागत से तैयार हुआ। उत्तराखंड सरकार मेडिकल कॉलेज को रिकार्ड समय में पूरा करने श्रेय ले रही हैं। प्रदेश के मंत्री से लेकर तमाम विधायक इस मेडिकल कॉलेज को अपनी बड़ी उपलब्धि मानकर हरिद्वार के निकाय चुनाव में वोट मांग रहे है। विपक्षी दल कांग्रेस की निवर्तमान मेयर अनीता शर्मा ने मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए भूमि को निशुल्क दिया। लेकिन सरकार ने मेडिकल कॉलेज को निजी संस्था को सौंप दिया। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले एमबीबीएस प्रथम बैंच के 100 छात्र—छात्राएं पीपीपी मोड पर जाने के बाद आंदोलनरत है। सरकार पर वादाखिलाफी और धोखा देने के आरोप लगा रहे है। जिसके बाद से पूरा प्रकरण तूल पकड़ चुका है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के छात्रों के आंदोलन करने की खबर सोशल मीडिया में आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी अपना पक्ष रखा है। सरकार की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज के पीपीपी मोड पर संचालित होने से मेडिकल छात्र प्रभावित नही होंगे। बच्चों की फीस में कोई बढोत्तरी नही की जायेगी। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी आयुष्मान और सीजीएचएस की दरों के अनुसार उपचार की सुविधा​ मिलेगी। निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, डॉ आशुतोष सयाना, ने बताया है कि हरिद्वार स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के संचालन को पीपीपी मोड पर दिए जाने से अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढ़ेगी, साथ ही छात्रों को अन्य सभी सुविधाएं सरकारी भी मेडिकल कॉलेज के समान ही मिलती रहेंगी। राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार में 100 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी मिली है, अब यहां विधिवत पढाई भी शुरु हो गई है। इसी क्रम में मेडिकल कॉलेज के बेहतर संचालन और मरीजों को अच्छी सुविधाएं देने के लिए, कॉलेज को पीपीपी मोड पर दिए जाने का निर्णय लिया गया है। लेकिन पीपीपी की शर्त में स्पष्ट किया गया है कि इससे अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढेगी, साथ ही छात्रों को मिलने वाले सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र और डिग्रियों पर राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार ही दर्ज रहेगा। इसी तरह भर्ती होने वाले मरीजों को उनके कार्ड के अनुसार आयुष्मान कार्ड या सीजीएचएस की दरों पर ही उपचार दिया जाएगा। डॉ सयाना ने कहा कि पीपीपी मोड में दिए जाने मकसद सिर्फ अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है। ताकि छात्रों और मरीजों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके। इसलिए छात्रों या आम जन मानस को इस विषय में भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन यहां पढ़ने वाले बच्चों की राय सरकार से बिलकुल जुदा है। बच्चों का कहना है कि हमको जो डिग्री मिलेगी वह सरकारी होनी चाहिए। राजकीय मेडिकल कॉलेज की डिग्री से उनको सम्मान मिलेगा। बताते चले कि 100 एमबीबीएस की सीटों में 85 बच्चे उत्तराखंड के मूल निवासी है। जबकि 15 बच्चे ही देश के दूसरे राज्यों से एमबीबीएस करने यहां आए है। ऐसे में बच्चों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। वही सरकार की मंशा पर भी बच्चे सवाल उठा रहे है।