न्यूज127
उत्तराखंड एसटीएफ अपराधियों के खिलाफ “आपरेशन प्रहार” अभियान के तहत कठोर कार्रवाई कर रही है। आरोपियों के ठिकानों पर पहुंचकर मंसूबों का नाकाम कर रही है। पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के दिशा निर्देशन में साईबर धोखाधड़ी करने वाले अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुए साईबर पीड़ितों को न्याय दिलाया जा रहा है। ऐसा ही बेहद चौंकाने वाले रिटायर्ड फौजी के मामले में न्याय दिलाकर किया।
आरोपियों ने पीडित को डिजीटल अरेस्ट कर नकली सीबीआई और ईडी अधिकारी बनकर फर्जी आदेशों, गिरफ्तारी वांरट तक जारी कर दिया। व्हटसअप व वीडियो कॉल के माध्यम से आनलाईन जोड़कर फर्जी सीबीआई और ईडी का अधिकारी बनकर डरा धमकाकर तथा गिरफ्तारी का भय दिखाकर 1.3 करोड रूपये की धनराशि को अलग-अलग तारीखों में विभिन्न बैक खातों में स्थानान्तरित करा दिया।
एसटीएफ की टीम ने इस प्रकरण का शानदार तरीके से खुलासा किया और एक के बाद कड़ियों को मिलाते हुए आरोपी के गिरेबां तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, नवनीत सिंह ने बताया कि उपरोक्त प्रकरण जनपद चम्पावत के थाना लोहाधाट से स्थानान्तरित होकर साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन कुमाँयू परिक्षेत्र को प्राप्त हुआ, जिसमे आर्मी से सेवानिवृत्त व्यक्ति ने बताया कि उसे माह अक्टुबर 2024 में व्हाटसप के माध्यम से आडियो कॉल प्राप्त हुई, जिसमें अज्ञात व्यक्ति द्वारा बताया गया कि आप नरेश गोयल मनी लॉडिग केस मे शामिल है और आपके खिलाफ मुम्बई पुलिस स्टेशन में अभियोग पंजीकृत हुआ है और आपको डिजीटली अरेस्ट किया जाता है। अगर आप सहयोग नही करते है तो आपको व आपके परिवार वालों को गिरफ्तार कर आपकी सारी चल -अचल सम्पत्ति हमेशा के लिए सीज कर दी जायेगी, भय मे लाने हेतु ईडी व सीबीआई के फर्जी आदेश व गिरफ्तारी वांरट आदि व्हटसअप पर भेजे गये ।
शिकायतकर्ता की जमा समस्त धनराशि को आरबीआई द्वारा जाँच कराने के नाम पर व्हटसअप के माध्यम से उपलब्ध कराये गये विभिन्न बैंक खातो में आरटीजीएस व एनएफटी के माध्यम से ट्रांसफर कराया गया ।
एसएसपी एसटीएफ की टीम
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ उत्तराखण्ड के निर्देशन में मामले का पर्यवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर, पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा एंव विवेचक अरूण कुमार निरीक्षक, साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, कुमाऊँ परिक्षेत्र, रूद्रपुर के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। साईबर क्राईम पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / व्हाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से पत्राचाकर कर डेटा प्राप्त किया गया।
डेढ़ करोड़ की ठगी
प्राप्त डेटा के विश्लेषण से जानकारी मे आया कि साईबर अपराधियों ने घटना में पीड़ित को डिजीटल अरेस्ट का भय दिखाकर विभिन्न बैंक खातों में 1.3 करोड रूपये की धनराशि स्थानान्तरित करवायी गयी ।
पुलिस की विवेचना
साईबर थाना पुलिस टीम ने अभियोग में प्रकाश में आए बैंक खातों तथा मोबाइल नम्बरों का सत्यापन किया गया। पुलिस टीम द्वारा तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के आईडीएफसी बैक के लाभार्थी खाताधारक पिंकू वर्मा पुत्र महेन्द्र प्रसाद वर्मा निवासी वार्ड न0 17 महावीर वार्ड गली नियर अम्बिका विहार सी रोड महावीरपारा थाना अम्बिका बिहार जिला सरगुजा छत्तीसगढ को चिन्ह्ति करते हुये अभियुक्त की तलाश जारी की। अभियुक्त पिंकू वर्मा की तलाश डिजीटल साक्ष्य के आधार पर की गई।
आरोपी पिंकू वर्मा की तलाश
जहाँ से साईबर टीम द्वारा प्रकाश मे आये अभियुक्त खाताधारक पिंकू वर्मा पुत्र महेन्द्र प्रसाद वर्मा निवासी वार्ड न0 17 महावीर वार्ड गली नियर अम्बिका विहार सी रोड महावीरपारा थाना अम्बिका विहार जिला सरगुजा छत्तीसगढ को चिन्हित करते हुए अभियुक्त की तलाश जारी की। साईबर टीम ने विधिक प्रावधानो के अन्तर्गत प्रकाश में आये अभियुक्त पिंकू वर्मा पुत्र महेन्द्र प्रसाद के सम्बन्ध मे आवश्यक तकनीकी साक्ष्य जुटाये गये तथा पिंकू वर्मा को साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन कुमाँयू परिक्षेत्र रूद्रपुर पर उपस्थित कराकर अग्रिम विवेचनात्मक कार्यवाही विधिक प्रावधानो के तहत कार्यवाही की गई ।
अपराध का तरीका:
साईबर अपराधियों द्वारा पीडित को व्हाटसप / स्काईप एप के माध्यम से वीडियो / आडियो कॉल कर उन्हें उनके अभियोगों में नामजद होने की बात कहकर गिरफ्तारी, मनी लॉण्ड्रिंग के आरोप में फंसाये जाने की बात कह कर उन्हें डिजिटली अरेस्ट कर लिया जाता था, जिसके लिए साईबर अपराधियों द्वारा व्हाटसप व स्काईप एप का प्रयोग किया जाता था पीडित को एजेन्सियों का भय दिखाने के लिये उनको आरबीआई, सीबीआई के नाम पर एप से ही नोटिस भेजे जाते थे जिससे पीडित में भय बना रहे । डिजिटल अरेस्ट की अवधि के दौरान पीडित को अपने किसी रिश्तेदार, सहकर्मी व परिवारजनों के साथ सम्पर्क में नहीं रहने की हिदायत दी जाती थी । तथा गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती थी । डिजिटल अरेस्टिंग के दौरान अभियुक्त द्वारा पीडित को बताये गये फर्जी खातों में धनराशि स्थानान्तरित करने को बोला जाता था तथा रजिस्टर्ड मनी लॉण्ड्रिंग के केस से बचा लेने व खातों में भेजी गयी धनराशि को रिफाईन करने के पश्चात वापस करने का झांसा दिया जाता था । जिससे पीडित साईबर अपराधियों के झांसे में आकर उनके बताये गये खातों में धनराशि जमा कर देते थे । परन्तु पीडित को स्वयं के साथ हो रही साईबर धोखाधड़ी का अंदेशा नही हो पाता था । अपराधियों द्वारा धोखाधडी से प्राप्त धनराशि को विभिन्न बैक खातों में प्राप्त कर उक्त धनराशि को अन्य खातों में स्थानान्तरण कर दिया जाता था । घटना के पश्चात पीडित को अत्यधिक मानसिक अवसाद व आर्थिक नुकसान का सामना करना पडा । साईबर पुलिस देश भर में विभिन्न राज्यों से प्राप्त शिकायतों के सम्बन्ध में जानकारी हेतु अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क कर रही है ।
प्रारम्भिक पूछताछ में अभियुक्त ने साईबर अपराध हेतु जिस बैंक खातों का प्रयोग किया गया है उसमें मात्र 4-5 माह में ही करोडो रूपयों का लेन-देन होना प्रकाश में आया है । जाँच में यह तथ्य भी प्रकाश में आया है कि अभियुक्तगण के बैंक खाते के विरुद्ध देश के विभिन्न राज्यों में कुल 12 साईबर अपराधों की शिकायतें निम्नवत दर्ज हैं । जिसके सम्बन्ध में जानकारी हेतु अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क किया जा रहा है ।
पुलिस टीम-
1- अपर उपनिरीक्षक श्री सतेन्द्र गंगोला
2- हेड कानि0 श्री सोनू पाण्डे
3- कानि0 श्री रवि बोरा