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आर्य प्रतिनिधि सभा और गुरूकुल कांगड़ी कर्मचारियों के बीच विवाद के बीच में कुलाधिपति डॉ एसके आर्य ने प्रोफेसर प्रभात सेंगर को कार्यवाहक कुलपति का दायित्व सौंप दिया गया है। जिला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में प्रभात सेंगर ने कार्यवाहक कुलपति का पदभार ग्रहण किया। हालांकि बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने अपना विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने प्रभात सेंगर के पदभार ग्रहण करने की प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए आर्य प्रतिनिधि सभाओं की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया। एसडीएम जितेंद्र कुमार, कनखल थाना प्रभारी चंद्रमोहन, ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह और तमाम पुलिस फोर्स ने शांति व्यवस्था को बनाए रखा। विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से हुआ।

नव नियुक्त कार्यवाहक कुलपति प्रभात सेंगर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि गुरूकुल का विकास हो। सभी कर्मचारी उन्नति करे। स्वामी श्रद्धानंद की तपस्थली का गौरव पिश्व पटल पर स्थापित हो। सभी कर्मचारियों, नगर वासियों से मिलकर ऐसी योजना बनाई जाए जो विश्वविद्यालय के हित में हो। विश्वव़िद्यालय को गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार के लोगों से मुलाकात की गई है। मुझे चार्ज एक व्यवस्था के तहत दिया गया है। भारत सरकार के नियमों का अनुपालन होगा। विश्वव़िद्यालय की स्थायी व्यवस्था बनाने के लिए मुझे जिम्मेदारी दी गई है। सभी कर्मचारी मेरे छोटे और बड़े भाई है। सभी से वार्ता करने के बाद असमंजस की स्थिति को खत्म कर दिया जायेगा। कर्मचारियों की शंकाओं का समाधान किया जायेगा।
जबकि कुलपति के पद से विमुख की गई प्रोफेसर हेमलता ने भी सभी कर्मचारियों से शांति बनाए रखने की भावुक अपील की। उन्होंने कहा कि वह सीनियर मोस्ट कर्मचारी है। सीनियर मोस्ट कर्मचारी के नाते मेरी अपील है कि शांति बनाकर अपना आक्रोष प्रदर्शित करें। यहां का वातावरण खराब ना करे। एडमिशन का समय है। एडमिशन बढ़ना चाहिए। नेगेटिव प्रचार नही होना चाहिए। सभी लोग अपने एडमिशन प्रक्रिया को शुरू करें। में जब गुरूकुल आई तो डीन बनकर आई और अपने विभाग में कार्य करती रही। निवदेन है कि शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखे। स्वामी श्रद्धानंद जी का सपना साकार होगा।

विदित हो कि प्रो. प्रभात सेंगर इतिहास विभाग के प्रोफेसर हैं। शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से ही कुलाधिपति डॉ एसके आर्य की नियुक्ति की गई है।