नवीन चौहान,
हरिद्वार। शराबियों को सड़क पर झूमते देखने का मन हो तो आप सीधा जगजीतपुर चले आओ। यहां सड़क किनारे दर्जनों पियक्कड़ शराब के नशे में धुत होकर गाली गलौज करते दिख जायेंगे। कुछ शराबी बड़ी बड़ी ढीगें हांकते हुये मिलेंगे तो कुछ आपस में झगड़ा करते हुये दिख जायेंगे। ये नजारा एक दिन का नहीं रोजाना का है। इन शराबियों के लिये बाकायदा बिना लाईसेंस के मयखाने खुले है। कनखल लक्सर मार्ग के ग्राम जगजीतपुर में सड़क किनारे खुलेआम दुकानों में शराब और मांस परोसा जा रहा है। सूरज ढलने के साथ ही इन दुकानों पर शराबियों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। मध्य रात्रि तक ये सिलसिला चलता रहता है। शराब पीने वाले के वाहनों की लंबी कतारे कनखल लक्सर मार्ग पर लग जाती है। आश्चर्यचकित करने वाली बात ये है कि चंद कदमों की दूरी पर बने जगजीतपुर चौकी की पुलिस और कनखल थाना पुलिस को ये सब नजारा दिखाई नहीं पड़ता है। खूफिया विभाग भी ये जानकारी जुटाने में असफल रहा है। ऐसे में अगर कोई अनहोनी हो जाये तो प्रशासन और पुलिस में किसी के पास कोई जबाव नहीं होगा।
गंगा नगरी हरिद्वार में इन दिनों शराब और मांस का चलन कुछ महीनों में बहुत बढ़ गया है। हरिद्वार की सीमा में प्रवेश द्वार के चारों ओर शराब की ब्रिकी होती है। जिसके चलते शराब पीने के शौकीनों को बैठने के लिये एक मुफीद जगह की जरूरत होती है। बात अगर जगजीतपुर क्षेत्र की करें तो यहां शराब का ठेका शहर से चंद किलोमीटर की दूरी पर घनी आबादी के बीच में है। इस ठेके के चारों तरफ प्रमुख शिक्षण संस्थान है। जहां हरिद्वार की आबादी के करीब 30 प्रतिशत बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है। बात शराब के ठेके की करें तो इस ठेके के खुलने के बाद से यहां पर रेस्टोरेंट की तादात भी बहुत बढ़ गई है। भोजनालय के नाम पर मांस की ब्रिकी हो रही है। यहीं कारण है कि शराब और मांस का एक प्रयुक्त स्थान शराब पीने वालों को मिल रहा है। दुकानदारों की ब्रिकी बढ़ी तो छोटी- छोटी चाय की दुकान भी देशी शराब पीने वालों का ठिकाना बन गई। कुल मिलाकर कहें तो जगजीतपुर में मांस और शराब का सेवन भारी मात्रा में हो रहा है। बिना लाईसेंस के बार खुले है। जिस पर प्रशासन और पुलिस की कोई नजर नहीं है। एसएसपी कृष्ण कुमार वीके ने बताया कि पुलिस जल्द ही इन दुकानों पर छापेमारी करेंगी। अगर पुलिस की मिलीभगत से ये सब चल रहा है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी।
स्थानीय जनता ने आबादी के बीच खोले जाने वाले शराब के ठेके का विरोध किया था। जनता और शिक्षक जगत के लोगों ने आंदोलन किया। भूख हड़ताल तक की। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, प्रशासन को पत्र भेजे। लेकिन जनता की कोई सुनवाई नहीं हुई। राज्य सरकार को शायद शराब से मिलने वाले अपने राजस्व की चिंता सता रही थी।