नवीन चौहान,
जब थायराइड ग्लैंड के काम करने की प्रणाली में बाधा उत्पन होती है तो इस से कई तरह की शारीरिक समस्याओ से हमे दो चार होना पड़ता है जैसे कि उच्च रक्तचाप, नब्ज का धीमा होना या सामान्य से अधिक तेज होना, दिल की अनियंत्रित धड़कन छाती में दर्द, धमनी में ब्लॉकेज हार्ट का फेल होना जैसी कई गंभीर समस्याएं है जिनसे हमे थायराइड ग्रंथि के काम करने तरीके को प्रभावित होने की दशा में झेलना पड़ता है थायराइड रोग में कार्यप्रणाली में रूकावट दो तरीके से होती है या तो यह कम हो जाती है जिसे हम हाइपोथायराइडइज्म कहते है और या यह बढ़ जाती है जिसे हम हाइपरथायराइडिज्म कहा जाता है मेडिकल विज्ञान की भाषा में थायराइड की समस्या-
हाइपोथायराइडिज्म
थायराइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली धीमी हो जाने पर दिल की धड़कन कम हो जाती है और रक्त संचार भी कम हो जाता है और लम्बे समय तक ऐसा ही रहने पर हमारे मेटाबोलिज्म पर इसका खतरनाक असर होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्राल का स्तर अधिक हो जाता है और और इसके लक्षणों में जल्दी थकान और वजन का बढ़ना शामिल है।
हाइपोथायराइडिज्म के उपचार
एक बार खून के टेस्ट के बाद इसका उपचार बहुत आसान है इसमें रोगी की कमी को थायराइड हार्मोन प्रेपंशन से बदल कर इसका उपचार किया जाना संभव होता है और इलाज के लिए थायरोक्सिन और इसके सिंथेटिक विकल्प आज की आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं के पास मौजूद है।
हाइपरथायराइडिज्म
थायरोक्सिन हार्मोन का स्तर बढ जाने की दशा में यह हमारे दिल को तेजी से धडकने के लिए उतेजित करता है जिस से हमारा दिल तेजी से धडकता है और इस अवस्था को टेचिकार्डिया भी कहते है इसमें दिल की धडकन बढ़ने के कारन रोगी को अपना दिल और मन डूबता हुआ सा महसूस होता है।
हाइपरथायराइडिज्म का उपचार हाइपरथायराइडिज्म के इलाज के लिए और इसके प्रभावों को कम करने के लिए कुछ खास तरह के ट्रीटमेंट की जरुरत होती है और दिल की धड़कन को कम करने के लिए डॉक्टर की देखरेख में हाइपरथायराइडिज्म के अन्य लक्षण जिसमे हृदय गति बढ़ने के साथ साथ बैचेनी और उँगलियों का काम्पना शामिल है का इलाज अच्छे से किया जाना आवश्यक है।
थायराइड की समस्या को ठीक करने के प्राचीन आयुवेर्दिक उपाय
अदरक
अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं। अदरक में एंटी- इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
दही और दूध का सेवन
थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।
मुलेठी का सेवन
थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। ऐसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल
थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते हो। गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है।
साबुत अनाज
जौ, पास्ता और ब्रेड़ आदि साबुत अनाज का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।
फलों और सब्जियों का सेवन
थायराइड की परेशानी में जितना हो सके फलों और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए। फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जो थायराइड को कभी बढ़ने नहीं देता है। सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च आदि का सेवन करें।
आयोडीन का प्रयोग
हाल ही में हुए नए शोध में यह बात सामने आई है कि आयोडिन में मौजूद पोषक तत्व थायराइड ग्रंथी की कार्यप्रणाली को ठीक रखता है। आयोडीन के ऑर्गेनिक स्रोतों में प्याज, ओट, टमाटर, लहसुन, बंदगोभी, अनानास और स्ट्रॉबेरी, आदि शामिल हैं। इन खाद्य पदार्थों को रोज के भोजन में शामिल करें।
थायराइड एक गंभीर समस्या है सही समय पर पता चलने से इसका बचाव किया जा सकता है। पुरूषों के पास समय का आभाव कम होता है लेकिन वे थायराइड के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। समय पर जांच करवाते रहें और अपने खान पान में ध्यान दें।
थायराइड रोगियों के लिए डाइट चार्ट
अपनी डाइट चार्ट में ऐसे खाद्य- पदार्थों को शामिल कीजिए जिसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा हो। क्योंकि आयोडीन की मात्रा थायराइड फंक्शन को प्रभावित करती है।
कॉपर और आयरन युक्त आहार के सेवन करने से भी डायराइड फंक्शन में बढ़ोतरी होती है।
काजू, बादाम और सूरजमुखी के बीज में कॉपर की मात्रा होती है।
हरी और पत्तेदार सब्जियों में आयरन की भरपूर मात्रा होती है।
पनीर और हरी मिर्च तथा टमाटर थायराइड गंथि के लिए फायदेमंद हैं।
विटामिन और मिनरल्स युक्त आहार खाने से थायराइड फंक्शन में वृद्धि होती है।
प्याज, लहसुन, मशरूम में ज्यादा मात्रा में विटामिन पाया जाता है।
कम वसायुक्त आइसक्रीम और दही का भी सेवन थायराइड के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
गाय का दूध भी थायराइड के मरीजों को पीना चाहिए।
नारियल का तेल भी थायराइड फंक्शन में वृद्धि करता है। नारियल तेल का प्रयोग सब्जी बनाते वक्त भी किया जा सकता है।
थायराइड के रोगी इन खाद्य-पदार्थों को न खायें
सोया और उससे बने खाद्य-पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
जंक और फास्ट फूड भी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करते हैं। इसलिए फास्ट फूड को अपनी आदत मत बनाइए।
ब्राक्कोली, गोभी जैसे खाद्य-पदार्थ थायराइड फंक्शन को कमजोर करते हैं।
थायराइड थायराइड के मरीजों को डाइट चार्ट का पालन करना चाहिए, साथ ही नियमित रूप से योगा और एक्सरसाइज भी जरूरी है। नियमित व्यायाम करने से भी थायराइड फंक्शन में वृद्धि होती है। थायराइड की समस्या बढ़ रही हो तो चिकित्सक से संपर्क अवश्य कीजिए।
थायराइड के रोग और योग चिकित्सा
प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें –
उज्जायी प्राणायाम :
पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें। अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व कम्पन उत्पन्न होने लगे। इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रति-दिन करें।
नाड़ीशोधन प्राणायाम :
कमर-गर्दन सीधी रखकर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लेकर दूसरे स्वर से निकालें, फिर उसी स्वर से श्वास लेकर दूसरी नाक से छोड़ें। 10 बार यह प्रक्रिया करें।
ध्यान :
आँखें बंद कर मन को सामान्य श्वास-प्रश्वास पर ध्यान करते हुए मन में श्वास भीतर आने पर ‘सो’ और श्वास बाहर निकालते समय ‘हम’ का विचार 5 से 10 मिनट करें।
ब्रह्ममुद्रा :
वज्रासन में या कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ। दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ।
मांजरासन :
चौपाये की तरह होकर गर्दन, कमर ऊपर-नीचे 10 बार चलाना चाहिए।
उष्ट्रासन : -घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
शशकासन :
वज्रासन में बैठकर सामने झुककर 10-15 बार श्वास -प्रश्वास करें।
मत्स्यासन :
पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
सर्वांगासन :
पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को काँधों पर रोकें। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
भुजंगासन :
पीठ के बल लेटकर हथेलियाँ कंधों के नीचे जमाकर नाभि तक उठाकर 10- 15 श्वास-प्रश्वास करें।
धनुरासन :
पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़कर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
शवासन :
पीठ के बल लेटकर, शरीर ढीला छोड़कर 10-15 श्वास-प्रश्वास लंबी-गहरी श्वास लेकर छोड़ें तथा 30 साधारण श्वास करें और आँखें बंद रखें।
नोट :- किसी योग्य योग शिक्षक से सभी आसन की जानकारी ले के ही करें।
थायरायड की एक्युप्रेशर चिकित्सा
एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड व् पैराथायरायड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो एवं पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे व् अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित हैं।
थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं [घडी की सुई की उलटी दिशा में] देना चाहिए। इसके साथ ही पियुष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए।
विशेष : -प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें। पियुष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग मैथेड [पम्प की तरह दो-तीन सेकेण्ड के लिए दबाएँ फिर एक दो सेकेण्ड के लिए ढीला छोड़ दें] से प्रेशर देना चाहिए। आप किसी एक्युप्रेशर चिकित्सक से संपर्क करके आप उन केन्द्रों को एक बार समझ सकते है और फिर स्वयं भी कर सकते है।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar [email protected]
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