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गंगा रक्षा और जनहित के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले जगजीतपुर स्थित मातृ सदन आश्रम के संतों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदौरिया और कमल भदौरिया ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आश्रम की सुरक्षा के लिए 18 पुलिसकर्मियों की स्थायी तैनाती की मांग की है
पत्र में कहा गया है कि आश्रम लंबे समय से गंगा नदी में अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाता रहा है और इसी वजह से आश्रम व इसके संतों को खनन माफियाओं से लगातार खतरा बना हुआ है। गंगा जी की अविरलता बनाए रखने के लिए आश्रम द्वारा समय-समय पर जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनका समाज को व्यापक लाभ मिला है।
संतों की तपस्या और बलिदान
मातृ सदन आश्रम के संत स्वामी निगमानंद सरस्वती ने गंगा रक्षा के लिए 111 दिन की तपस्या कर अपने प्राणों का बलिदान दिया, जबकि ब्रह्मलीन स्वामी ज्ञान स्वरूप आनंद जी और पूज्य स्वामी शिवानंद जी महाराज ने भी वर्षों से अविरल गंगा के लिए कठोर तप किया है। पत्र में उल्लेख है कि स्वामी शिवानंद जी ने भी एक बार बिना जल ग्रहण किए लगातार सात दिनों तक ग्रीष्म ऋतु में कठोर तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने उनकी मांगें मानी थीं।
वन भूमि को दिलाया न्याय
आश्रम द्वारा उच्च न्यायालय उत्तराखंड में याचिका संख्या 175/2001 दाखिल कर 108 हेक्टेयर वन भूमि को भू-माफियाओं से मुक्त कराया गया, जिसे अब कुंभ व कांवड़ मेलों के आयोजन हेतु प्रयुक्त किया जा रहा है। इस संपूर्ण जनहित याचिका का खर्च भी आश्रम ने स्वयं वहन किया।
48 स्टोन क्रशर बंद करने का ऐतिहासिक आदेश
हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मातृ सदन बनाम भारत संघ नामक जनहित याचिका संख्या 15/2022 पर सुनवाई करते हुए हरिद्वार जिले में अवैध रूप से संचालित 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल बंद करने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने इन क्रशरों की बिजली और पानी आपूर्ति भी काटने के आदेश पारित किए हैं। इससे खनन माफिया में भारी हड़कंप मच गया है।
साजिशों और हमलों की आशंका
पत्र में यह भी लिखा गया है कि खनन माफिया पूर्व में आश्रम के संतों पर हमले कर चुके हैं। वर्तमान में जब उच्च न्यायालय के आदेश से खनन गतिविधियां बंद हुई हैं, तो आशंका जताई जा रही है कि माफिया किसी नई साजिश को अंजाम दे सकते हैं। आश्रम वन क्षेत्र में स्थित है और वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, जो स्थिति को और भी संवेदनशील बनाती है।
मुख्यमंत्री से की गई सुरक्षा की अपील
आश्रम के हित और संतों की सुरक्षा को देखते हुए, अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि आश्रम में 18 पुलिसकर्मियों की स्थायी तैनाती की जाए, जिससे किसी भी अनहोनी की संभावना को टाला जा सके।