हरिद्वार। निजी स्कूलों को कानून के दायरे में लाने की तैयारी कर रही राज्य सरकार के खिलाफ निजी स्कूल संचालक मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। इसी के चलते हरिद्वार में उत्तराखंड विद्यालय प्रबंधक महासंघ का गठन किया गया है। महासंघ की पहली बैठक 6 अगस्त को कनखल के एक निजी स्कूल में आयोजित की गई है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा सरकार की गलत नीतियों को लागू करने से रोकना है। महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है निजी स्कूल सरकार का ही अभिन्न अंग है। इस लिये सरकार को कोई भी कानून बनाने से पहले निजी स्कूल संचालकों की राय जानना और उनकी समस्याओं को समझना जरुरी है।
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिये बेहतर कदम बढ़ा रहे है। उन्होंने कॉशन मनी और री एडमिशन फीस को सत्र 2017 से ही बंद करा दिया है। इसी के साथ निजी स्कूलों की मनमर्जी को रोकने के लिये सख्त कानून बनाने की दिशा में भी काम शुरू कर दिया है। सरकार की ओर से इसके लिय ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया गया है। इस ड्रॉफ्ट में निजी स्कूल संचालकों की लापरवाही पाये जाने की दशा में तीन साल की जेल और 50 हजार जुर्माने तक का प्रावधान किया गया है। इस ड्रॉफ्ट की भनक जब निजी स्कूल संचालकों को लगी तो वह इसका विरोध करने के लिये एकजुट हो गये। इसी के चलते हरिद्वार में उत्तराखंड विद्यालय प्रबंधक महासंघ का गठन किया गया। इस महासंघ ने सरकार की कार्यशैली को सवालों में घेरे में रखा है। महासंघ का कहना है कि सभी निजी स्कूलों की अपनी-अपनी सुविधायें है जिसके अनुसार ही स्कूल की प्रबंधक कमेटी फीस निर्धारित करती है। इसके अलावा गैर सरकारी स्कूलों को आरटीआई के दायरे में रखा गया है। जो कि किसी हद तक भी न्यायोचित्त नहीं है। महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि करोड़ों की जमीन पर स्कूल बनाने के बाद सिर्फ फीस का ही सहारा स्कूल संचालकों को होता है। जिससे स्कूल में सुविधायें दी जाती है। ऐसे में सरकार का हंटर ऊपर रहेगा तो शिक्षण संस्था को चलाना असंभव नहीं हो पायेगा। महासंघ में रामगोपाल गुप्ता, कृष्ण कुमार चौहान,विजेंद्र पालीवाल, इलम चंद्र गुप्ता, संदीप अग्रवाल, इंद्रपाल सिंह, राजेश गौतम, अमित चौहान, स्वामी शरद पुरी, डॉ गोपाल सिंह बिरमानी और
सरकारी उत्पीड़न रोकने के लिए उत्तराखंड विद्यालय महासंघ का गठन



