महात्मा हंसराज के जन्मोत्सव में देहरादून DAV के बच्चों ने दिखाया अपनी सांस्कृतिक प्रतिभा का जौहर




नवीन चौहान
प्रधानाचार्य डॉ शालिनी समाधिया ने डिफेंस कॉलोनी स्थित डीएवी देहरादून को दी नई अलग पहचान दी है। डीएवी स्कूल डिफेंस कॉलोनी देहरादून में संचालित है। डीएवी प्रबंधकर्तृ समिति के तत्वाधान में गतिमान डीएवी देहरादून स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। वैदिक ज्ञान, भारतीय संस्कृति, संस्कार और परम्पराओं को समाहित कर बच्चों को शिक्षित और राष्ट्रभक्त बनाने में महती भूमिका अदा कर रहा है।

स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ शालिनी समाधिया ने अपने अनुभव और शैक्षणिक कौशल ने देहरादून की शिक्षा में नई पहचान स्थापित की है। स्कूल प्रबंधन बच्चों की प्रतिभा को निखारने का अभूतपूर्व कार्य कर रहा है। डीएवी देहरादून ने नामी स्कूलों के बीच अपने स्कूल को वैदिक ज्ञान से परिपूर्ण वातावरण देने का सार्थक प्रयास अनवरत जारी है। स्कूल के बच्चे खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों और वैदिक ज्ञान की प्रतिभ का कौशल दिखला रहे है।

देहरादून के बच्चों की सांस्कृतिक प्रतिभा की झलक हरिद्वार डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में आयोजित महात्मा हंसराज के जन्मोत्सव कार्यक्रम में दिखलाई दी। डीएवी प्रबंधकर्तृ समिति के प्रधान पद्मश्री डॉ.पूनम सूरी जी ने बच्चों की प्रशंसा की और वही उनके उज्जवल भविष्य की कामना का आशीर्वा​द दिया।

उन्होंने कहा कि डीएवी संस्था का एक मात्र उददेश्य भारत में वैदिक ज्ञान से परिपूर्ण श्रेष्ठ नागरिक तैयार करना है। जो विश्व पटल पर भारत का नाम गौरवांवित करें और भारत को विश्व गुरू बनाने में अपने दायित्वों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि भारत की युवा शक्ति ही हमारी ताकत है और शिक्षित बच्चे ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में संचालित सभी डीएवी स्कूल अच्छा कार्य कर रहे है। बच्चों की प्रतिभा को निखारने का कार्य बेहतर तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने सभी प्रधानाचार्यो, शिक्षकों व समस्त स्टॉफ से आहृवान किया कि अपने दायित्वों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहकर महात्मा हंसराज के सपनों को पूरा करने में इसी प्रकार योगदान देते रहे। आप सभी का तप कर्तव्यपरायण होगा तो भारत के विश्वगुरू बनने का सपना भी जल्द साकार होगा।

रैवेति—चरैवेति
डीएवी देहरादून के बच्चों की चरैवेति-चरैवेति की शानदार प्रस्तुति ने इंसान को जीवन का मूल अर्थ समझा दिया। चरैवेति का अर्थ चलते रहना है। चलना ही जिंदगी है। बच्चों ने गीत के माध्यम से बताया कि चलते रहने से ही आपको अनुभव मिलेगा और अनुभव से ज्ञान की प्राप्ति होगी। स्कूली बच्चों ने गीत और नृत्य के माध्यम से इंसान को अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का संदेश दिया है। परिस्थितियां कैसी भी हो लेकिन आपको अपनी सकारात्मक सोच के साथ जीवन में आगे बढ़ना है।
नोट— यहां चलने का अभिप्राय सड़क पर पैदल चलने से नही है। सकारात्मक सोच के साथ जिंदगी में आगे बढ़ने से है।



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