हरिद्वार में आन लाइन शॉपिंग को बाय—बाय, स्थानीय दुकान से खरीदेंगे सामान




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नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण काल की मार तो सभी वर्ग को पड़ी है लेकिन कारोबारियों की तो कमर ही टूट गई है। उनके व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गए है। दुकानदारों के खर्च तक नही निकल पा रहे है। बिजली, पानी, स्टॉफ का वेतन और तमाम अन्य खर्चो की पूर्ति करना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में अब जब सबकुछ अनलॉक हो गया है और बाजार भी खुल गए है। तो ये सही वक्त है रिश्ता निभाने का। जी हां अपने शहर के स्थानीय दुकानदारों से ही सामान खरीदकर लाने का। हरिद्वार की एक 11 साल की मासूम अनुष्का ने तो अपने पापा से आन लाइन शॉपिंग को बाय—बाय करा दिया है। अब आप भी आन लाइन शॉपिंग करने का इरादा बदल दीजिए। त्यौहारों पर अपने स्थानीय दुकानदारों से ही सामान खरीदे।
22 मार्च 2020 के बाद से भारत की तस्वीर बदल गई। लोगों के सोचने का नजरिया बदल गया। चीन के बुहान से भारत में एंट्री करने वाले कोरोना संक्रमण ने इंसान को इंसान से दूर कर दिया। हालात ये बने कि तीन गज की दूरी जीवन दायिनी औषधि बन गई। चेहरे पर मास्क अनिवार्य हो गया। लेकिन इस संक्रमण ने जो आर्थिक नुकसान पहुंचाया उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। कंपनियां बंद हो गई। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में ताले लटक गए। बेरोजगारी का दौर शुरू हो गया। घरों में रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। देश में भुखमरी के हालात बनने लगे थे। इसी बीच केंद्र सरकार ने जनहित में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी। देश की जनता को कोरोना के साथ जीने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में अब जब सबकुछ अनलॉक है और कारोबार खुल गए तो आप ही स्थानीय दुकान से ही सामान खरीदकर उनका मनोबल बढाए। बताते चले कि स्थानीय दुकानदारों ने आर्थिक संकट के दौरान भी अपने प्रतिष्ठान में कार्यरत कर्मचारियों को भूखे नही रहने दिया। कर्मचारियों को वेतन, राशन और तमाम जरूरतों को पूरा किया। जिसके चलते इन प्रतिष्ठानों पर कार्यरत एक बहुत बड़े वर्ग को राहत मिली। स्थानीय दुकानदार अपने कर्मचारियों के पालनहार बनकर उभरे। ऐसे में एक बच्ची ने जहां स्थानीय दुकानदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रेरित किया। वही आप सभी भी अपने ही पड़ोस की दुकान से सामान लेकर उनको आर्थिक मजबूत करें।