नवीन चौहान
हरिद्वार में कभी तेजी से फल-फूल रहा प्रॉपर्टी बाजार अब ठहराव की स्थिति में पहुंच गया है। एक ओर जहां प्लॉटों के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, वहीं दूसरी ओर ग्राहकों की भारी कमी ने प्रॉपर्टी कारोबारियों की चिंता बढ़ा दी है।
सिडकुल क्षेत्र, जो कभी निवेशकों की पहली पसंद था, अब पूरी तरह ठंडा पड़ चुका है। कोरोना काल के बाद कंपनियों में छंटनी और आर्थिक मंदी के असर से रोशनाबाद और आन्नेकी क्षेत्रों में भी प्रॉपर्टी की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई है।
कनखल में आसमान छूते दाम, आम आदमी दूर
कनखल क्षेत्र में जमीन के दामों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे मध्यम वर्गीय खरीदार हाथ पीछे खींच रहे हैं। महंगे दामों और कानूनी उलझनों के बीच लोग अब अव्यवस्थित या अर्ध-अवैध कॉलोनियों की ओर रुख कर रहे हैं।
एचआरडीए की कॉलोनियों में भी नहीं बिक रहे प्लॉट
हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) की अनुमोदित कॉलोनियों में भी जमीनों की बिक्री ठप है। जहां पहले ग्राहक कानूनी रूप से स्वीकृत कॉलोनियों को प्राथमिकता देते थे, अब वहां भी सन्नाटा पसरा है। इसका प्रमुख कारण एचआरडीए की तमाम जटिल प्रक्रियाओं को पूरा करने में आने वाले खर्च के चलते प्लाटों की कीमत महंगी होना है।
डीलरों और निवेशकों के सामने संकट
स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर प्रदीप कुमार ने बताया, “एचआरडीए की सख्ती के चलते प्लॉट महंगे हो गए हैं। जमीन की ऊंची दरों ने खरीदारों को डरा दिया है। पिछले छह महीनों में प्लॉट की बिक्री में 60% से अधिक गिरावट आई है।”
निवेशक भी अब ऊंचे दाम पर खरीदी गई जमीनों को लेकर परेशान हैं। न तो ग्राहक मिल रहे हैं और न ही रिटर्न की कोई उम्मीद बची है।
प्रॉपर्टी कारोबारी संदीप सैनी के अनुसार, “पतंजलि नेशनल हाईवे के पास जमीनों की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से बंद हो गई है। ग्राहक रूचि नहीं दिखा रहे। जगजीतपुर मेडिकल कॉलेज के आसपास भी स्थिति गंभीर है – जहां निर्माण कार्य और बिक्री लगभग ठप है। केवल 10 फीसदी के आसपास ही बिक्री हो रही है।”
भविष्य की चिंता
बाजार की इस सुस्ती से ना केवल डीलर और निवेशक परेशान हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी स्थिति चिंताजनक है जो हरिद्वार में घर बसाने का सपना संजोए बैठे थे। अब देखना यह है कि प्राधिकरण और सरकार इस संकट को दूर करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।