भाजपा विधायक स्वामी यतीश्वरानंद गुरूकुल में उलझे और जनता को भूले




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नवीन चौहान
भाजपा विधायक स्वामी यतीश्वरानंद इन दिनों अपनी पूरी ताकत गुरूकुल महाविद्यालय के संपत्ति विवाद में लगा रहे है और केबिनेट मंत्री मदन कौशिक के लिए परेशानी खड़े करते हुए खुद अपनी ही सरकार की फजीहत करा रहे है। अगर इससे चौथाई एनर्जी भी अपने क्षेत्र लालढांग में लगा देते तो वहां की जनता को मुश्किलों का सामना नही करना पड़ता है और जनता की आंखों में आंसू ना बहते। हकीकत ये कि हरिद्वार का ग्रामीण क्षेत्र लालढांग सबसे ज्यादा पिछड़ा इलाका है। यहां पर विकास की अपार संभावनाएं है। ऐसे में अगर ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद लालढांग क्षेत्र के विकास के प्रयासों में मानसिक और शारीरिक श्रम करते तो यहां की जनता उनको सिर आंखों पर बैठाकर रखती। लेकिन वह तो जनता को भूलकर गुरूकुल महाविद्यालय में ही उलझे हुए है।
हरिद्वार में इन दिनों गुरूकुल महाविद्यालय की संपत्ति का विवाद सुर्खिया बना हुआ है। एक तरफ से भाजपा के ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद मोर्चा संभाले हुए है तो दूसरी ओर से एसडीआईएमटी कॉलेज के निदेशक अनिल गोयल पुरजोर वकालत कर रहे है। पूरा प्रकरण गुरूकुूल महाविद्यालय की संपत्ति के संरक्षण को लेकर उपजे विवाद से है। पिछले कई दिनों से सड़कों पर धरने प्रदर्शन हो रहे है। मीडिया को बयान जारी हो रहे है। स्वामी यतीश्वरानंद अपने टारगेट पर केबिनेट मंत्री मदन कौशिक को रखे हुए है। हालांकि खुद मदन कौशिक इस पूरे प्रकरण से बहुत दूर है। उन्होंने मीडिया को कोई बयान भी जारी नही किया। खैर ये तो संपत्ति विवाद का मामला है। कानून अपने तरीके से कार्य करेंगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बाते ये है कि स्वामी यतीश्वरानंद ने गुरूकुल महाविद्यालय प्रकरण में आवाज बुलंद की अगर इतनी आवाज वह विधानसभा में लालढांग क्षेत्र के लिए करते तो शायद इस क्षेत्र की बदहाली ना होती। इस क्षेत्र की जनता बुरी तरह से त्रस्त है। यहां पर बिजली, पानी, सड़कों और समुचित सरकारी योजनाओं का अभाव है। जनता की समस्याओं को सुनने वाला भी कोई नही है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी अपनी राजनीति चमकाते है। ऐसे में क्षेत्र का विकास करने की सबसे ज्यादा
जिम्मेदारी ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद की थी। लेकिन वह भी जनता से दूर हो गए। उन्होंने लालढांग के लिए वो प्रयास नही किए जिनकी जरूरत थी। ऐसे हालात में लालढांग विकास की किरण से अछूता रह गया। जिस जनता ने स्वामी जी को विधायक बनने का गौरव दिया उसको भूल जाना अपने आप में विचारणीय है।