मेरठ।
राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई को भाजपा ने संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है। यह जिम्मेदारी मिलने के बाद बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है। वहीं दूसरी ओर उनके विरोधियों के भी मुंह पर ताले लग गए हैं। डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी का कद बढ़ाकर संगठन ने जता दिया है कि पार्टी के वफादारों को संगठन में न केवल जिम्मेदारी दी जाएगी बल्कि उनका सम्मान भी बनाए रखा जाएगा।
शहर में डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेई की अलग छवि है। वह जनता के लोकप्रिय हैं। कार्यकर्ताओं के सुख दुख में साथ खड़े नजर आते हैं। जनता के साथ कुछ गलत होता है तो वह अधिकारियों को भी आड़े हाथ लेते रहे हैं। यही नहीं विधायक चुने जाने के बाद भी वह अपने स्कूटर से ही अपनी विधानसभा में लोगों के साथ मिलने जाते थे। कार्यक्रमों में भी वह अपने स्कूटर को स्वयं चलाकर पहुंचते थे। शासन से मिला उनका सुरक्षाकर्मी उनके साथ पीछे बैठता था।
डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रहे हैं। उनके अध्यक्ष रहते हुए ही भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव में यूपी में 80 में से 73 सीटें जीती थीं। उन्होंने मुलायम सिंह यादव परिवार की बहू अपर्णा यादव, साढ़ू प्रमोद गुप्ता, रायबरेली की कांग्रेस विधायक अदिति सिंह समेत सपा के कई नेताओं को पार्टी में शामिल कराया था।
बात जनसंघ की करें तो डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई 14 साल की उम्र में जनसंघ से जुड़ गए थे। उन्हें 1977 में जनता पार्टी के यूथ विंग का अध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 1980 में भाजपा मेरठ के महासचिव बने। लक्ष्मीकांत बाजपेई उत्तर प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी बने। इसके बाद वर्ष 1989 में वह मेरठ की शहर सीट से पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 1993 में वे चुनाव हार गए। फिर वर्ष 1996 में दूसरी बार एमएलए बने। इसके बाद वर्ष 2002 में वह फिर चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। लेकिन 2007 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वर्ष 2012 में वह फिर विधायक बने और दिसंबर 2012 में भाजपा ने उन्हें उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा में उन्हें फिर से निराशा हाथ लगी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मीकांत बाजपेई ने चुनाव न लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। उनको भाजपा ने ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया।