सोनी चौहान
उत्तराखंड सरकार ने जेल के कैदियों के हक में एक फैसला लिया है। अब जेल के बंदियों को जल्द ही निशुल्क कानूनी मदद पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए गृह विभाग व्यवस्था बना रहा है। जेल में पहुंचते ही जेल प्रशासन कैदी से विकल्प मांगेगा।
उसे मुफ्त कानूनी मदद चाहिये या फिर उसके पास अपना वकील है। विकल्प को ऑनलाइन सहमति भी मिलेगी। इसके बाद उसे केस लड़ने के लिए वकील मिल जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से जेल में निरुद्ध बंदियों को मुकदमे की पैरवी करने के लिए बंदी की मांग पर निशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराया जाता है।
वर्तमान में इस व्यवस्था के तहत अधिवक्ता की मांग मैन्युअल रूप से की जाती है। बंदी के जेल में पहुंचते ही अधिवक्ता मांग की फाइल मंजूरी के लिए कई दफ्तरों में जाती है। ऐसे में बंदी के मामले की अदालत में पैरवी ठीक से नहीं हो पाती है।
अब गृह विभाग इस व्यवस्था को ऑनलाइन करने जा रहा है। इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को गृह विभाग अब एक क्लिक पर आधारित करने की तैयारी में है। जेल प्रशासन हर जेल में ऑनलाइन प्रणाली को प्रभावी करेगा।
जैसे ही बंदी का जेल में प्रवेश होगा, तो उससे मुफ्त कानूनी मदद का विकल्प मांगा जाएगा। यह सुविधा सजा याफ्ता कैदी के उच्च अदालत में अपील करने के लिए भी लागू होगी।
गृह सचिव नितेश कुमार झा ने बताया कि अगर कोई बंदी अपने मुकदमे की पैरवी के लिए मुफ्त कानूनी मदद मांगता है तो उसे सुविधा दी जाती है। अब इस प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया जा रहा है। इससे फ्री लीगल एड की अनुमति तुरंत दी जा सकेगी।
जेल में बंदियों को पैरवी के लिए निशुल्क मिलेगा वकील



