नवीन चौहान
उत्तराखंड के पत्रकारों को राज्य सरकार की ओर आवास देने की योजना बनाई गई है। जिसके लिए तमाम कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। एक अप्रैल को सरकार पत्रकारों को मकान देने की घोषणा करेंगी। पत्रकारों को मोबाइल चलाना और वीडियो बनाने की कला में निपुण होना जरूरी है। उलटे सीधे सवाल पूछने वाले पत्रकारों को वरीयता मिलेगी।
बताते चले कि भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में पत्रकारों की समस्या का कोई समाधान नही हुआ। पत्रकारों के आवास संबंधी समस्या काफी लंबे अरसे चली आ रही है। जिसके चलते पत्रकार त्रिवेंद्र सरकार से बेहद खफा चल रहे है। पत्रकारों ने अपनी नाराजगी का गुस्सा नेतृत्व परिवर्तन कराकर लिया। उनकी कुर्सी छीन ली। पत्रकारों की ताकत का एहसास तमाम राजनैतिक दलों को हो गया। जिसके बाद नये मुखिया ने कुर्सी पर बैठते ही सबसे पहले पत्रकारों की समस्याओं की तमाम फाइलों को खंगालना शुरू किया। सरकार ने मन बना लिया कि एक अप्रैल को पत्रकारों को मकान की घोषणा करते है। उसके बाद विज्ञापनों की झड़ी लगा देंगे। वैसे आवास आवंटन के लिए सरकार की ओर से कुछ मानक भी बनाए गए है। मोबाइल में व्हाट्एप चलाना, यूटयूब में वीडियो अपलोड करने वाले को वरीयता दी गई है। मकान मिलने की खबर जब पत्रकारों को मिली है वह खुशी से झूम रहे है। सुना है कि कुछ तो गिर भी पड़े है।
नोट: यह समाचार महज होली के मनोरंजन के तौर पर लिखा गया है। इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नही है। मकान मिलने की खुशी में ज्यादा ना लेना। बस कोल्डडिंक से काम चला लेना।बुरा ना मानो होली है।