31 अक्टूबर को मनाए दीपावली, हो रहा चित्रा और स्वाति नक्षत्र के साथ प्रीति योग का निर्माण




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न्यूज़ 127, इस बार दीपावली पर्व को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है, क्योंकि इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या की तिथि दो दिन पड़ रही है। आईए जानते हैं कि शास्त्रीय आधार पर दीपावली किस दिन मनाना शुभ रहेगा।
इस बार 31 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर 3:52 से हो जाएगा जो अगले दिन शाम 6:16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी। 31 अक्टूबर को ही चित्रा वह स्वाति नक्षत्र के साथ ही प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिष सलाहकार राहुल अग्रवाल के मुताबिक शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी गणेश जी का पूजन हमेशा अमावस्या तिथि प्रदोष काल और निशिता काल में सूर्यास्त के पश्चात करने का विधान है
शास्त्रों में स्पष्ट मान्यता है कि जब यह सब स्थिति मिल रही हो तब ही दीपावली का पर्व मनाना चाहिए
दीप उत्सव भी हमेशा रात्रि के समय ही किया जाता है
इस बार अमावस्या तिथि पूर्ण रूप से रात्रि के समय 31 अक्टूबर को रहेगी प्रदोष काल व रात्रि के समय निशिता काल कल भी 31 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रहा है
1 नवंबर को पूर्ण प्रदोष काल में अमावस्या तिथि की प्राप्ति कहीं भी नहीं हो रही है क्योंकि 1 नवंबर को शाम 6:16 से प्रतिपदा तिथि जिसको पड़वा भी कहा जाता है प्रारंभ हो जाएगी
जबकि 31 अक्टूबर को पूर्ण रूप से अमावस्या तिथि प्रदोष काल में वह पूरी रात्रि के समय रहेगी
इस कारण इस बार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 दिन बृहस्पतिवार को मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा

पूजन विधान
महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजन विधि विधान के साथ करने का भी विशेष महत्व है। महालक्ष्मी की पूजा करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें की लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ-साथ कुबेर महाराज की भी पूजा करें। इससे पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन श्री यंत्र की पूजा कर उसे अपने धन स्थान पर स्थापित करें ऐसा करने से लक्ष्मी का स्थाई वास होता है। पूजा में खील बताशे व खिलौने आदि प्रसाद के रूप में अवश्य रखें।