श्रीदेव सुमन की जन्मस्थली जौल गांव में निशुल्क ओजस का वितरण




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उत्तराखंड के दो कुलपति ने कोरोना संक्रमण से बचाने के जौल गांव में  की ओजस वितरित 

नवीन चौहान
श्रीदेव सुमन की जन्मस्थली जौल गांव को आदर्श गांव बनाने की कवायद श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने शुरू कर दी है। इसी के चलते यहां के ग्रामीणों के जीवन को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित बचाने के प्रयास किए जा रहे है। गांव के 37 परिवारों के 130 व्यक्तियों को निशुल्क ओजस आयुर्वेदिक क्वाथ (ओजस) औषधि वितरित की गईफ।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीताम्बर प्रसाद ध्यानी, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी दोनों श्रीदेव सुमन जी की जन्मस्थली जौल गांव में पहुंचे। गांव में कोविड 19 के बचाव हेतु जागरूकता एवं प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि हेतु निशुल्क ओजस आयुर्वेदिक क्वाथ (ओजस) औषधि वितरण कार्यक्रम का संयुक्त रूप से आयोजन किया गया। 37 परिवार के 130 व्यक्तियों हेतु निशुल्क ओजस आयुर्वेदिक क्वाथ (ओजस) औषधि का वितरित की गई। ग्रामीणों को निशुल्क मास्क वितरित किए। दोनों कुलपति सर्वप्रथम जौल गांव में श्रीदेव सुमन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के जन्म गृह में पहुंचे। तत्पश्चात् कार्यक्रम स्थल में स्थापित अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी की मूर्ति पर दोनों कुलपतियों और अन्यों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये।
कुलपति डॉ पीपी ध्यानीने बताया कि कोविड 19 के बचाव हेतु जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गये गांव तथा श्रीदेव सुमन जी के जन्म स्थली जौल गांव को चिकित्सकीय परामर्श हेतु उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आदर्श गांव बनाने का भी है। इस हेतु विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद विश्वविद्यालय को: हर सहयोग प्रदान किया जायेगा।
कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी ने बताया कि उन्हे अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी की जन्म स्थली जौल गांव में पधारने का सौभाग्य मिला, जिसके लिये वो कार्यक्रम में उपस्थित गांववासियों, श्रीदेव सुमन जी के परिवार के सदस्यों तथा विशेषकर डॉ पीपी ध्यानी का आभार व्यक्त करना चाहते हैं, जिन्होने जौल गांव में कार्यक्रम करने का उन्हे सुझाव दिया। डॉ जोशी ने कहा कि जौल गांव को चिकित्सकीय परामर्श हेतु आदर्श गांव बनाकर विकसित किया जायेगा। जिसके लिये आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा शीघ्र ही गांव में कैम्प भी लगाया जायेगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के चिकित्सक उपस्थित होंगे तथा गांववासियों का समय समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। डॉ जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के चिकित्सकों द्वारा गांव में औषधीय प्रजातियों का निरीक्षण कर गांव में स्थित विभिन्न औषधियों के बारे में जानकारियां भी प्रदान की जायेंगी। डॉ जोशी ने कोरोना के बारे में विस्तृत रूप से गांववासियों को जागरूक किया गया, उन्होंने गांववासियों को बताया कि कोरोना से बचने के लिये हमें सर्वप्रथम सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना होगा, नियमित रूप से साबुन तथा सैनिटाइजर का उपयोग करना होगा। आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा बनाया गया ’’काडा’’ में तुलसी, काला बांस, गिलोही तथा मुख्य रूप से कच्ची हल्दी के जडो में पाया जाने वाला सफेद कचूड मिलाया गया है। जो मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि हेतु अत्यन्त लाभकारी होता है। आयुर्वेद के तरीके से कोरोना से बचाव हेतु सरसो की दो बूंद, कपूर, कच्ची हल्दी की माला का उपयोग भी किया जा सकता है। डा0 जोशी मर्म रोग के प्रख्यात विशेषज्ञ हैं, उन्होेंने बताया कि आज भारत देश सबसे ज्यादा कोरोना से संक्रमित देशो में से द्वितीय स्थान पर है लेकिन मृत्यु दर में काफी पीछे है, जिसका कारण यह है कि भारत देश में आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग अत्यधिक मात्रा में किया जाता है तथा अन्य देशों में आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करने की मात्रा बहुत कम है, जिसके कारण अन्य देशों की मुत्यु दर काफी अधिक है।
डॉ सुनील कुमार जोशी ने कहा कि शीघ्र ही गांव में स्वास्थ्य निरीक्षण हेतु शिविर कैम्प लगाया जायेगा जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा गांव में जागरूकता हेतु घास कटिंग की मशीन , औषधि वितरण कार्यक्रम, गांव में उपलब्ध विभिन्न जड़ी बूटियों के बारे में रिसार्च कर गांव वासियों को उसकी उपयोगिता भी बतायी जायेगी, साथ ही साथ गांववासियों द्वारा उगायी गयी जड़ी बूटियों को बाजारी भाव में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय खरीदेगा तथा गांव वासियों को उसकी उपयोगिता के बारे में भी बतायेगा। डॉ जोशी ने भरोसा दिलाया गया कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय जौल गांव को उत्तराखण्ड में एक आदर्श गांव बनायेगा।
डॉ राधा बल्लभ सती, निदेशक, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने भी ग्रामीणों को सम्बोधित किया। उन्होने कहा कि उन्हे सौभाग्य प्राप्त हुआ कि आज दो विश्वविद्यालयों के कुलपति एक साथ अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी के जन्म स्थली पर कोविड 19 के बचाव हेतु जागरूकता एवं प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि हेतु निशुल्क ओजस आयुर्वेदिक क्वाथ (ओजस) औषधि वितरण कार्यक्रम में एक साथ उपस्थित हैं। यह एक ऐतहासिक क्षण है। डा0 सती द्वारा अवगत कराया गया कि शहरीकरण की प्रवृत्ति समाप्त होनी चाहिए, क्योकि जो गांव का रहन सहन, भोजन, क्रियाकलाप हैं वो मनुष्य के लिये बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं। डॉ सती द्वारा आयुर्वेद विश्वविद्यालय के माध्यम से वितरित किये जाने वाले आयुर्वेदिक क्वाथ (ओजस) के बारे में विस्तृत रूप से बताया कि पहले विभिन्न क्षेत्रों में औषधियों का उपयोग बहुत कम किया जा रहा था लेकिन वर्तमान में आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा बनाया गया आयुर्वेदिक क्वाथ (ओजस) का उपयोग अत्यधिक मात्रा में किया जा रहा है जो कि अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। डा0 सती का कहना है कि गांव में कोरोना तथा अन्य बिमारियों का कहर काफी कम होता है क्योकि गांव में शुद्ध हवा, पानी , गाय का दूध, नियमित रूप से औषधियों का उपयोग किया जाता है। उनके द्वारा बताया गया कि हर घर में गाय रखनी चाहिए, जिससे गाय वनों में जाकर औषधियां को चारे के रूप में उपयोग करती है और गाय से निकाला गया दूध मनुष्य के लिये अमृत होता है तथा गाय के गोबर को जलाकर बनी राख का उपयोग हम हाथ धोने में भी कर सकते हैं।
गांव में कार्यक्रम की समाप्ति के बाद डॉ पीपी ध्यानी,डॉ सुनील कुमार जोशी,तथा डॉ राधा बल्लभ सती,ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय मुख्यालय बादशाहीथौल में भी आयोजित निशुल्क आयुष रक्षा किट वितरण का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के लगभग 60 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निशुल्क आयुष रक्षा किट का वितरण किया गया।
जौल गांव एंव श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय मुख्याल में अयोजित कार्यक्रम में जौल गांव के सुंदर लाल उनियाल, दिनेश प्रसाद बडोनी, श्रीमती लक्ष्मी देवी, विनोद प्रसाद बडोनी, आशीष बडोनी आदि तथा विश्वविद्यालय के दिनेश चन्द्रा, कुलसचिव, सी0एम0 पैन्यूली आयुर्वेद विश्वविद्यालय, डा0 आर0एस0 चैहान, डा0 वी0एल आर्य0, डा0 हेमन्त बिष्ट, सुनील नौटियाल, अमित आदि उपस्थित रहे।