सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे का फार्मूला निकाल रहे मदन




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हरिद्वार। भाजपा के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और भाजपा के ही मेयर मनोज गर्ग के बीच की सियासी लड़ाई अब मदन कौशिक पर आकर ठहर गई है। सियासी रंग में रंगे इस प्रकरण पर प्रशासन व पुलिस पूरी तरह से मौन है। सतपाल के पक्ष में कूदकद मनोज के बहाने मदन कौशिक को घेरने की तैयारी करने वाले निशंक खेमे के चारों विधायक मदन कौशिक के सियासी तरकश से निकलने वाले तीर का इंतजार कर रहे है। जबकि राजनीति में पारंगत मदन कौशिक सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे के फार्मूले की रणनीति बना रहे है।
हरिद्वार के नगर विधायक मदन कौशिक राजनीति के मंझे हुये खिलाड़ी है। राजनीति में उनका कोई  दांव कभी खाली नहीं जाता है। अपने विरोधियों को पस्त करने के लिये उनके तरकश में कई तीर मौजूद रहते है। भाजपा के सबसे मजबूत जनाधार वाले नेता के तौर पर मदन कौशिक की पहचान है। इसी के चलते वह लगातार चार बार से हरिद्वार नगर सीट से विधायक है। गत लोकसभा चुनाव में उनका सांसद का टिकट काटकर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को दे दिया गया था। निशंक को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी भी मदन कौशिक के कंधों पर ही थी। मदन कौशिक ने इस कार्य को बखूवी अंजाम दिया और निशंक को चुनाव जिताकर लोकसभा  भिजवा दिया। लेकिन इस चुनाव के बाद से ही निशंक और मदन कौशिक के खेमों के बीच कोल्डवार शुरू हो गई। मदन कौशिक के विरोधी लगातार उनको कमजोर करने का प्रयास करते रहे लेकिन वह उतनी ही ताकत से और मजबूत होते चले गये। विरोधियों का कोई भी दांव मदन कौशिक पर नहीं चला। अब ये ऐसा मामला आया है जब मदन कौशिक के सबसे खास माने जाने हरिद्वार के मेयर मनोज गर्ग एक प्रकरण को लेकर विवाद की सुर्खिया बन गये है। मनोज को घेरने के लिये पार्टी के ही चार विधायक खुलकर सामने आ गये। लेकिन मदन कौशिक इस पूरे प्रकरण में पूरी तरह से शांत है। वह प्रकरण का पटाक्षेप करने और विरोधियों का मुंह बंद करने के लिये रणनीति बना रहे है। मदन कौशिक की इस रणनीति पर ही हरिद्वार की जनता की निगाहे जमी है। नगर में चर्चा है कि मदन कौशिक मेयर को संकट से बाहर निकालकर विरोधियों की बोलती बंद कर देगे।