पांच कांग्रेसियों ने चार दिन में बनाई मदन कौशिक को घेरने की रणनीति, पढ़े पूरी खबर




हरिद्वार। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और मेयर मनोज गर्ग के बीच के विवाद पर कांग्रेसियों ने वेट एंड वॉच की स्थिति के बाद शनिवार को इस पूरे प्रकरण को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी। घटना के बाद चार दिनों तक चुप्पी साधने वाले कांग्रेसी नेता पूर्व विधायक अंबरीष कुमार के नेतृत्व में पांच कांग्रेसी एकजुट हुये। सभी कांग्रेसी नेताओं ने मेयर के बहाने कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को अपने निशाने पर रखा। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि सतपाल महाराज के आश्रम की दीवार गिराने के पीछे अतिक्रमण नहीं दूसरा ही गेम खेला गया है। रक्षा सूत्र के लिये मदन कौशिक को हॉल नहीं दिया जाना और मदन कौशिक के चहेतों को पार्किंग का ठेका नहीं देना समेत कई अन्य कारण है। इसी के साथ कई संगीन आरोप मदन कौशिक और मेयर की जोड़ी पर लगाये है।
शनिवार को पूर्व विधायक अंबरीष कुमार, पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री संजय पालीवाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रहमचारी, पूर्व शहर अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा और मुरली ने संयुक्त रुप से प्रेस वार्ता की। मीडिया से बात करते हुये अंबरीष कुमार ने कहा कि पांच पांडव भूजपा की पोल पट्टी खोलेंगे। उन्होंने कहा कि जो घटना हुई वह हरिद्वार के इतिहास में बेहद शर्मनाक है। जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं। वह कहते है कि एफआईआर तो होती रहती है वापिस हो जायेगी। अंबरीष कुमार ने कहा कि मेरा अजय भटट से सवाल है कि प्रदेश में कानून का शासन चलता है। जनता के नुमाइंदे तो चुनकर आते हैं। लेकिन इस घटना में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भाजपा अपनी मनमर्जी से कानून को चला रही है। इस पर हम खेद व्यक्त करते है। उन्होंने कहा कि झगड़ा तो अतिक्रमण हटाने को लेकर हुआ है। जबकि वास्तविक अतिक्रमण तो नमामि गंगे प्रोजेक्ट है। गंगा की गोद में दिव्य प्रेम सेवा मिशन में भी तो अतिक्रमण है जहां भाजपा के बड़े नेता शीष नवाते है। वहां का अतिक्रमण क्यो नहीं हटाया जाता है। अंबरीष कुमार ने कहा कि अतिक्रमण का खेल राजनैतिक है। साल 2010 में खोखों को गिराकर अतिक्रमण हटाया गया और 220 अस्थायी खोखों का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। अंबरीष कुमार ने कहा कि दीवार को गिराने के पीछे के खेल का वास्तविक कारण आर्थिक है। उन्होंने कहा दीनदयाल पार्किंग का ठेका मंत्री के कहने पर उनके ही आदमी को दिया गया था। लेकिन ठेके की अवधि खत्म होने पर नये ठेके की आॅन लाइन नीलामी की गई। जो कि ठेके की राशि एक करोड़ से बढ़कर तीन करोड़ हो गई। रोड़ीबेलवाला की पार्कि ग का ठेका भी इसमें विवाद के पीछे की बजह में शामिल है। इसी के साथ रक्षा सूत्र के लिये हॉल नहीं दिया जाना भी एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि लड़ाई की जड़ अतिक्रमण हटाना नहीं ये प्रमुख विवाद है। पैसे और सत्ता के मद की लड़ाई है। कांग्रेस इस मुददे को पुरजोर तरीके से जनता के बीच उठायेगी। बतादे कि घटना के चार दिन बीतने के बाद कांग्रेस के पांच नेताओं ने आज मीडिया के सामने इस प्रकरण पर आंदोलन करने की रणनीति का खुलासा किया है।



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