रजवाहों, माइनरों व नालों की सफाई के नाम पर नहीं कर सकेंगे हेराफेरी




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— गंगनहर के बंद होने पर सफाई कराने से पहले और बाद में करानी पड़ेगी वीडियोग्राफी
नवीन चौहान
हरिद्वार। गंगनहर बंदी के दौरान रजवाहों, माइनरों एवं अन्य नालों की सफाई के नाम बजट को बिना काम कराए सिंचाई विभाग ठिकाने नहीं सकेगा। इसके लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने गंगनहर के बंद होने पर सफाई कराने से पूर्व और फिर सफाई कराने के बाद वीडियोग्राफी कराने के आदेश दिए हैं। इसी के साथ गंगा में पड़ रहे नालों की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।
कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जिला गंगा संरक्षण समिति की समीक्षा बैठक ली। जिलाधिकारी को अधिकारियों ने अपने-अपने विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। जल संस्थान के सीजीएम आरके जैन ने बताया कि जल संस्थान ने कनखल के आसपास कुछ रोड कटिंग की थी, जिसे बनाने के लिए जल संस्थान ने नगर निगम, हरिद्वार को 22 लाख रूपये की धनराशि रोड कटिंग के एवज में जारी कर दिए हैं। सीजेएम ने बताया कि लगभग हमारे सभी नाले टैप हैं, लेकिन कुछ इलाके जैसे-पुराना नगर निगम, दूधाधारी चौक आदि में सीवर लाइन नहीं है, इन इलाकों में सीवर लाइन डालने का काम जल्दी ही शुरू किया जाएगा। ज्वालापुर में भी जिला गंगा कमेटी की ओर से सीवर लाइन बिछाने की मांग है, जिसके संबंध में अभी निर्णय नहीं हुआ है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस संबंध में एक ज्वाइंट सर्वे करा लिया जाए।
सीजेएम जल संस्थान ने बताया कि गंगनहर की ओर से गंगा में कुछ गंदा पानी शामिल हो जाता है। उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर से गंगनहर की वार्षिक बंदी शुरू हो जाएगी। नहर बंदी के पांच या सात दिन बाद नहर सूखने के पश्चात पूरे नहर की वीडियोग्राफी करा ली जाएगी, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि वे कौन से क्षेत्र हैं, जहां से नहर में गंदा पानी मिल रहा है। जिलाधिकारी ने अधिकारियों से पूछा कि गंगनहर में जो सिल्ट जमा रहती है, उसे साफ करने की क्या व्यवस्था है। इस पर अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम, हरिद्वार द्वारा एक वृहद् अभियान चलाया जाता है, जिसमें एनजीओ आदि का भी सहयोग लिया जाता है। जिलाधिकारी ने नगर निगम को निर्देशित किया कि वे एक पूरी कार्य योजना तैयार करके प्रस्तुत करें तथा गंगनहर की सिल्ट के समय क्या स्थिति थी एवं सिल्ट साफ करने के पश्चात उसकी क्या स्थिति है, इसकी वीडियोग्राफी कराई जाए।
अधिकारियों ने जिलाधिकारी को बताया कि नहर के किनारे कुछ जगह तो पटरी बनी हुई है, लेकिन कुछ जगहों पर टूटी हुई है। अगर टूटी हुई पटरी को भी ठीक करा लिया जाए तो नहर के किनारे अतिक्रमण की समस्या से निजात पाई जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि डामकोठी से लेकर जटवाड़ा पुल तक पेड़ लगाए जा सकते हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि आपको ये कार्य नियमित रूप से करते रहना चाहिए। पौधे लगाने के कार्य को स्मृति वन के रूप में प्रचार-प्रसार करके आमजन को इससे जोड़ा जाना चाहिए। जिलाधिकारी ने गंगा क्षेत्र के सौंदर्यीकरण के संबंध में अधिकारियों को एक अलग से बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए।
शहर में मवेशी पालने का उल्लेख करते हुए अधिकारियों ने कहा कि मवेशी पालने वाले पहले गोबर के उपले तैयार करते थे, लेकिन अब उपलों का इस्तेमाल नहीं होने से लोग गोबर को नालियों में बहा देते हैं, जिससे नालियां बंद हो जाती हैं तथा वह पानी को भी प्रदूषित करता है। जिलाधिकारी ने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ पर्यावरण विभाग कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि नोटिस दी जा रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि केवल नोटिस दे देने मात्र से काम चलने वाला नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
बैठक में डीएफओ नीरज कुमार, सहायक नगर आयुक्त विनोद कुमार, स्वाति कालरा, अरूण कुमार केसरवानी आदि अधिकारी शामिल हुए।
गंगा म्यूजियम से मिलेगी जानकारी
गंगा म्यूजियम का उल्लेख करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि विजन बहुत अच्छा है, लेकिन इसके स्वरूप को और भव्य बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें इतिहास, धार्मिकता, प्रचलित कथाओं आदि का गहन अध्ययन करने के पश्चात भव्य स्वरूप प्रदान करना होगा, जिससे यह विश्वस्तरीय म्यूजियम बन सके।